जलस्तर बेहतर करने के लिए चल रही जलयात्रा का तीसरे दिन हुआ समापन
तिसरी प्रखंड में जल स्तर के गिरने के मद्देनजर सवेरा फाउंडेशन ने जल, जंगल और पर्यावरण संरक्षण के लिए तीन दिवसीय पैदल जलयात्रा का आयोजन किया। जलयात्रा का समापन साखम गांव में कार्यक्रम के साथ हुआ, जहां...

तिसरी। तिसरी प्रखंड में तेजी से पाताल भाग रहे जल स्तर के मद्देनजर स्वयं सेवी संस्था सवेरा फाउंडेशन ने अनोखी पहल शुरू की है। बुधवार से जल, जंगल और पर्यावरण संरक्षण के लिए निकाली गई तीन दिवसीय पैदल जलयात्रा तीसरे व अंतिम दिन शुक्रवार को लोकाय पंचायत के साखम गांव पहुंच कर सम्पन्न हो गई। इस दौरान जलयात्रा के समापन पर साखम गांव में जल, जंगल और पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मौके पर मुख्य रुप से गिरिडीह के डीएफओ मनीष तिवारी, रेंजर अनिल कुमार, लोकाय नयनपुर के थाना प्रभारी अमित कुमार, तिसरी के प्रमुख राजकुमार यादव, लोकाय की मुखिया अनीता हेंब्रम, सवेरा फाउंडेशन के सचिव अशोक सिंह आदि उपस्थित थे। बहरहाल, जलयात्रा तीसरे दिन व अंतिम दिन लोकाय पंचायत के जमामो गांव से निकाली गई। इस दौरान जलयात्रा में शामिल लोग हाथ में विभिन्न तरह की स्लोगन लिखी तख्ती लेकर नारा लगाते हुए जुलूस की शक्ल में साखम गांव पहुंचे। जहां पर जल यात्रा कार्यक्रम में तब्दील हो गया। मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डीएफओ मनीष तिवारी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जल,जंगल और पर्यावरण का संरक्षण करना क्षेत्र के ग्रामीणों का दायित्व और फर्ज बनता है। क्योंकि जल ही जीवन है, जल के बिना जीवन की कल्पना करना बेमानी होगी। इसलिए जल के साथ-साथ जंगल का भी संरक्षण करना जीवन के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि जंगल आप सभी का है। इसलिए जंगल को बचाना आपका भी दायित्व बनता है। रोजगार कि आड़ में जंगल की कटाई करना अपने जीवन के साथ खिलवाड़ करने जैसा है क्योंकि पेड़ों की कटाई होने के कारण ही आज क्षेत्र में जल स्तर पाताल भाग रहा है। पहले घना जंगल होने के कारण नदियों में भी सालों भर पानी भरा रहता था। लेकिन आज कई नदियों का भी अस्तित्व मिटने के कगार पर है। इसलिए जंगल कि कटाई करना छोड़कर अपने घर के आस-पास में पेड़ लगाने का काम करें। उन्होंने कहा कि एक पेड़ लगाना दस बेटे के बराबर है।
डीएफओ ने तल्ख शब्दों में भी कहा कि अगर जंगल की कटाई की गई, तो इसमें संलिप्त लोगों की खैर नहीं है। जंगल की कटाई करनेवालों के खिलाफ पहले भी कार्रवाई की गई है और आगे भी की जाएगी। डीएफओ ने कहा कि इन गांवों में भी रोजगार का सृजन किया जाएगा। लेकिन इसके लिए गांव के लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। प्रमुख राजकुमार यादव ने कहा कि आए दिन जंगलों की कटाई किए जाने के कारण क्षेत्र में तेजी से जल स्तर नीचे भाग रहा है। जिसके कारण पूरे प्रखंड में पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है। उन्होंने कहा कि लकड़ी तस्करों द्वारा धड़ल्ले से जंगलों में पेड़ों की कटाई की जाती है और उसे बिहार ले जाकर बेचा जाता है। उन्होंने कहा कि पहले तिसरी में घना जंगल हुआ करता था। लेकिन लगातार पेड़ों की कटाई किए जाने के कारण पर्यावरण के साथ-साथ जंगलों पर खतरा मंडराने लगा है। जयराम प्रसाद, सुजीत सिंह, गूंजा कुमारी, श्रीतमा पाल, पूजा कुमारी, संजय पांडेय, अमित दास, प्रेरणा कुमारी, प्रतिभा कुमारी, शुक्मती मरांडी, राम यादव, रंजन कुमार, शंकर दास सहित अन्य लोगों ने जल यात्रा को सफल बनाने में योगदान दिया।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।