शिक्षक की नौकरी छोड़ तिलकधारी ने मुखिया से लेकर सांसद तक सफर तय किया
सादगी की मिसाल थे तिलकधारी सिंह मुखिया बने। इसके बाद प्रखंड प्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष बने। वे उत्तरी छोटानागपुर स्वशासी विकास प्राधिकार का उपाध्यक्ष

गिरिडीह। शिक्षक की नौकरी छोड़कर समाज सेवा में आए तिलकधारी सिंह ने मुखिया से लेकर सांसद तक सफर तय किया। वे कई पदों पर रहे और सभी पदों का दायित्व निष्ठा के साथ निभाई। वे सादगी की मिसाल थे। स्वभाव के धनी तिलकधारी सिंह का सम्मान विरोधी दल के लोग भी करते थे। बता दें कि तिलकधारी सिंह देवरी प्रखंड के हरियाडीह पंचायत से पहली बार मुखिया बने। इसके बाद प्रखंड प्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष बने। वे उत्तरी छोटानागपुर स्वशासी विकास प्राधिकार का उपाध्यक्ष बने। उस समय बिहार और झारखंड एक था। कांग्रेस पार्टी में वे झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी अनुशासन समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष और जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे।
दो बार सांसद और एक बार विधायक बने:
तिलकधारी सिंह कोडरमा से दो बार सांसद और एक बार विधायक बने। राजधनवार विधानसभा से 1980 में विधायक बने। 1984 और 1999 में दो बार कोडरमा लोकसभा का सांसद बने। पूर्व सांसद तिलकधारी प्रसाद सिंह का पुत्र किशोर कुमार सिंह ने कहा है कि जन्म लेना भाग्य की बात है। मृत्यु आना समय की बात है । मृत्यु के बाद लोगों के दिलों में रहना यह कर्मों की बात है। कहा कि उनके पिता को हर वर्ग, हर जाति से प्यार और सम्मान मिला है। राजनीति जीवन में सिर्फ विकास करना वे सौभाग्य समझते थे। अपने क्षेत्र में पुल और सड़क बनाना उनकी पहली प्राथमिकता थी।
सड़क और पुल-पुलिया का बिछाया जाल
तिलकधारी सिंह ने सांसद और विधायक के कार्यकाल में सड़क और पुल पुलिया का जाल बिछाया। उन्होंने चंदौरी पुल, रेम्बा पुल, ईरगा पुल, सोनरे पुल, पक्की सड़क एक गांव से दूसरे गांव तक जोड़ने का काम किया। बेंगाबाद चतरो, कोवाड कोडरमा रोड, पचम्बा चितरडीड रोड, रानीडीह से असको, नेकपुरा से देवरी सहित कई सड़कें बनवाई।
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