जमुआ: पार्टी बदलकर फिर केदार व मंजू के आमने-सामने से लड़ाई रोचक
जमुआ विधानसभा में चुनावी माहौल रोचक हो गया है। कांग्रेस नेत्री मंजू कुमारी ने भाजपा जॉइन की है, जबकि निवर्तमान विधायक केदार हजरा झामुमो से चुनावी मुकाबला कर रहे हैं। दोनों के परिवारों का राजनीतिक...
सियाटांड़(गिरिडीह), प्रतिनिधि। जमुआ विधानसभा में चुनावी फिजा बड़ा ही मनोरंजक हो चला है। कल तक कांग्रेस नेत्री रही मंजू का भाजपा व शुरू से भाजपा में रहे निवर्तमान विधायक केदार हजरा का झामुमो से टिकट मिलने से चुनावी लड़ाई रोचक बनती जा रही है। मंजू के पिता दो बार तो केदार तीन बार बन चुके हैं विधायक : बताते चलें कि कल तक कांग्रेस का दामन थामने वाली मंजू आज भाजपा से किस्मत आजमा रही हैं। वहीं अपनी अस्मिता बचाने व समर्थकों के भरोसे केदार हजरा झामुमो से किस्मत आजमा रहे हैं। ऐसा पहली बार है कि यहां से झामुमो को टिकट मिला है। पिछले 2019 के विधानसभा चुनाव में केदार हजार को 58,468 मत मिला था। जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी रही मंजू कुमारी को 40,293 मत मिला था।
मंजू कुमारी के पिता शुकर रविदास 1977 में जनता पार्टी व 1995 में भाजपा से जमुआ का नेतृत्व कर चुके हैं। वहीं भाजपा से ही केदार हजरा 2005, 2014 व 2019 में तीन बार जमुआ का नेतृत्व कर चुके हैं। इसके पहले भी मंजू ने तृणमूल व कांग्रेस से किस्मत आजमाई थी परंतु किस्मत ने उन्हें दगा दे दिया था। अब पिता की पार्टी में घर वापसी कर किस्मत आजमा रही है।
उच्च शिक्षा व पलायन है यहां का मुख्य मुद्दा: बताते चलें कि झारखंड गठन के बाद यहां की जनता ने भाजपा को तीन बार नेतृत्व का मौका दिया। इसके बावजूद इस क्षेत्र का कोई अपेक्षित विकास नहीं हो सका है। यहां की बेटियां उच्च शिक्षा के आभाव में आज भी जल्द ही ब्याही जा रही है। वहीं क्षेत्र में कोई औद्योगिक विकास नहीं होने से सभी रोजगार के लिए पलायन को विवश हैं। क्षेत्र में एक भी एनएच नहीं होना भी सवाल ही पैदा करता है। क्षेत्र की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है; परंतु सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण किसान मायूस होकर रह जाते हैं।
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