अनुभवी केदार के आगे भाजपाइयों की मजबूत एकता से ही मंजु बनेगी दावेदार
मैदान मे। रामचंद्र हाजरा जमुआ, प्रतिनिधि। अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित जमुआ विस क्षेत्र का चुनावी नज़ारा आसन्न चुनाव में दिलचस्प होने वा
रामचंद्र हाजरा जमुआ, प्रतिनिधि।
अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित जमुआ विस क्षेत्र का चुनावी नज़ारा आसन्न चुनाव में दिलचस्प होने वाला है। ठीक चुनाव के मौके पर जमुआ के दो राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के पाला बदलने से सम्बंधित दलों का ताना बाना प्रभावित हुआ है। जमुआ का तीन बार प्रतिनिधित्व करने वाले निवर्तमान विधायक केदार हाजरा भाजपा से टिकट कटने की आशंका मात्र से ही जहां भाजपा को गुडबाय कहकर झामुमो में शामिल होकर टिकट पाने में भी सफल रहे, वहीं विगत चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर दूसरे स्थान पर रही मंजु सबको चौकाते हुए भाजपा में शामिल हुई और उम्मीदवार भी बन गई। अब सवाल यह उठता है कि क्या अनुभवी केदार हाजरा के आगे भाजपा की मंजू जमुआ सीट हथियाने में कामयाब हो सकती हैं। इस बाबत राजनीतिक प्रेक्षक बताते हैं कि दोनों प्रमुख उम्मीदवारों के पाला बदलने से सांगठनिक ढांचा तो प्रभावित हुआ ही है। केदार के झामुमो में जाने से जमुआ में कमजोर ही सही झामुमो का एक सेटअप तो मिला ही। अपेक्षाकृत मजबूत भाजपा को बिखरने से बचाने की बड़ी चुनौती तो सामने खड़ा हो ही गया है। लिहाजा कहा जा सकता है कि भाजपाइयों की मजबूत एकता ही आसन चुनाव में मंजु को मजबूत दावेदार बना सकता है। राजनीतिक प्रेक्षक यह भी बताते हैं कि तीन बार विधायक रहे केदार न सिर्फ अनुभवी हैं बल्कि चुनावी गुणाभाग के महारथी भी हैं। केदार के इर्द गिर्द रहने वाले पुराने भाजपाई भी मौके पर किसके प्रति वफादार रहेंगे दल अथवा केदार यह भी किसी के लिए प्लस तो किसी के लिए माईनस पॉइंट साबित होगा। इधर गठबंधन की गांठ ढीली पड़ने से माले भी चुनावी मैदान में उतरने वाली है। हालांकि कांग्रेस ने झामुमो को समर्थन देने का एलान कर दिया है। बहरहाल जमुआ सीट पर चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है।
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