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तीन नक्सलियों के मारे जाने के साथ पारसनाथ इलाके में है शांति

पीरटांड़ में दस लाख के इनामी नक्सली साहेबराम मांझी समेत तीन नक्सलियों के मारे जाने से क्षेत्र में शांति लौट आई है। पुलिस और सीआरपीएफ ने एक दशक से अधिक समय से पारसनाथ को नक्सलमुक्त करने के लिए प्रयास...

Newswrap हिन्दुस्तान, गिरडीहFri, 25 April 2025 06:08 AM
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तीन नक्सलियों के मारे जाने के साथ पारसनाथ इलाके में है शांति

पीरटांड़। दस लाख के इनामी नक्सली साहेबराम मांझी समेत पारसनाथ इलाके के तीन नक्सलियों के मारे जाने के साथ इलाके में शांति छा गई है। लगभग एक दशक के जिला पुलिस व सीआरपीएफ के द्वारा पारसनाथ को नक्सलमुक्त करने का किया जा रहा था प्रयास। पारसनाथ पर्वत के चहुंओर सीआरपीएफ कैम्प की स्थापना से ही पारसनाथ इलाके से नक्सलियों के पांच उखड़ने लगे थे। पुलिसिया दबाव के कारण क्षेत्र में नक्सल जनाधार भी समाप्त हुआ है। बताया जाता है कि पारसनाथ का घनघोर जंगल व भौगोलिक बनावट नक्सल संगठन के लिए सुरक्षित ठिकाना के तौर पर जाना जाता था। पहाड़ की तराई गांवों तक सड़क, पुल-पुलिया के अभाव के कारण पीरटांड़ के सुदूरवर्ती इलाके में नक्सलियों का गढ़ सा बन गया था। पुलिस प्रशासन की पहुंच से दूर रहनेवाले गांव में नक्सलियों का अपना अलग जनाधार भी हुआ करता था। जानकारी के अनुसार एक दशक पहले मानो पारसनाथ के इलाके में नक्सल संगठन का समानांतर सरकार चलती थी। इलाके में नक्सलियों का अपना वर्चस्व हुआ करता था पर सरकार का दृढ़ निश्चय नक्सल विरोधी अभियान तथा जिला पुलिस व सीआरपीएफ की जगह जगह तैनाती पारसनाथ इलाके में नक्सल संगठन की कमर तोड़ कर रख दिया। सीआपीएफ कैम्प की स्थापना व जवानों का एलआरपी से न केवल नक्सल गतिविधियों में कमी आई बल्कि इलाके के दुर्दांत नक्सली पारसनाथ इलाका छोड़ने पर मजबूर हो गया। पुलिस दबिश के कारण कुछ इनामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण के रास्ते मुख्य धारा को अपनाया है तो कुछ नक्सलियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल के सलाखों की पीछे डाल दिया।

सिलसिलेवार हुआ नक्सलियों पर प्रहार

पारसनाथ क्षेत्र को नक्सलमुक्त बनाने के लिए सरकार व शासन प्रशासन द्वारा सिलसिलेवार तरीके से प्रहार किया गया। वर्ष 2018 में सीआरपीएफ व जिला पुलिस ने सटीक सूचना के आधार पर पीरटांड़ डुमरी सीमा क्षेत्र के अकबकीटांड़ से इनामी नक्सली सुनील मांझी समेत दर्जनों नक्सलियों को गिरफ्तार व भारी मात्रा में हथियार बरामद कर संगठन को तगड़ा झटका दिया था। लगभग दो साल पहले इनामी नक्सली कृष्णा हांसदा को गिरफ्तार कर संगठन को झकझोर दिया। इस दौरन कई छोटे बड़े नक्सली व सहयोगी की भी गिरफ्तारी हुई। पुलिस की सक्रियता देख इनामी नक्सली नुनूचन्द महतो तथा रामदयाल महतो ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर मुख्य धारा का रास्ता चुना। बीते सोमवार को पारसनाथ से सटे इलाका के एक करोड़ के इनामी नक्सली प्रयाग मांझी, दस लाख का इनामी साहेबराम मांझी समेत अन्य नक्सलियों के खात्मे के साथ क्षेत्र में नक्सल ख़ौफ दफन हो गया।

अब भी फरार हैं कई इनामी नक्सली

हालांकि क्षेत्र के इनामी नक्सली अब भी फरार हैं। दुर्दांत नक्सली पच्चीस लाख के इनामी अजय महतो उर्फ टाइगर तथा एक करोड़ के इनामी नक्सली पतिराम मांझी उर्फ अनल दा व सेंट्रल कमेटी मेम्बर मिसिर बेसरा जैसे इनामी नक्सली अब भी फरार हैं।

योजनाबद्ध ढंग से काम का मिला फल

पारसनाथ को नक्सलमुक्त बनाने के लिए लंबे समय से कोशिश चल रही थी। नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना पारसनाथ से नक्सलियों को खदेड़ने के लिए सरकार व प्रशासन द्वारा योजनाबद्ध तरीके के काम किया गया। सबसे पहले कल्याण निकेतन में सीआरपीएफ कैम्प की स्थापना की गई। गांव गांव में नक्सल जनाधार खत्म करने व ग्रामीणों के साथ सीधा सम्बन्ध बनाने के उद्देश्य से तरह तरह के जागरुकता अभियान व सिविक एक्शन प्रोग्राम के तहत संवाद स्थापित किया गया। नक्सलियों का रेड कॉरिडोर ध्वस्त करने के लिए पहाड़ के पूर्वी इलाके पर्वतपुर, पश्चिमी इलाके मोहनपुर तथा दक्षिणी इलाके ढोलकट्टा के पास सीआरपीएफ की तैनाती की गई। इसके अलावा खुखरा, हरलाडीह, लटकट्टो समेत पहाड़ के ऊपर अलग अलग पुलिस कंपनी को उतारा गया। पारसनाथ इलाके में लगातार बढ़ती पुलिस गतिविधियों के कारण नक्सली पारसनाथ इलाके छोड़ने पर मजबूर हो गये।

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