लापरवाही: जमुआ में मनरेगा लाभुकों का 1470.19 लाख बकाया
गिरिडीह के जमुआ प्रखंड में मनरेगा लाभुकों की हालत खराब है। चार वर्षों से बकाया भुगतान न मिलने के कारण लाभुक अपने घर से पैसा लगाकर बकरी शेड और कुएं का निर्माण कर चुके हैं, लेकिन उन्हें कर्ज चुकाने में...
सियाटांड़। गिरिडीह के जमुआ प्रखंड़ के मनरेगा लाभुकों का हाल इन दिनों बेहाल हो चुका है। लाभुक अपने घर से पैसा लगाकर और बहुत लोगों ने कर्ज़ लेकर जैसे-तैसे तो बकरी शेड/पशु शेड/ कुआं का निर्माण तो करा लिया; परंतु उन्हें चार वर्षों बाद भी पेमेंट नहीं मिल सका है। ऐसे में उन्हें अब हर-रोज देनदारों का कोपभाजन बनना पड़ रहा है। चार-वित्तीय वर्षों का 1470.19 लाख बाकी
बताते चलें कि जमुआ में मनरेगा मद का अनस्किल्ड, सेमी-स्किल्ड, स्किल्ड व मैटेरियल की राशि पिछले चार वित्तीय वर्षों का बकाया है। इसमें शेड निर्माण के लाभुकों का बकाया लगभग नब्बे प्रतिशत है। वित्तीय वर्षवार बकाया राशि इस प्रकार है-वित्तीय वर्ष 2021-22 का बकाया 576.52 लाख, 2022-23 का बकाया 714.24 लाख, 2023-24 का बकाया 112.37 लाख व 2024-25 का बकाया 67.06 लाख है। कुल बकाया राशि 1470.19 लाख रुपए है। उपरोक्त डाटा मनरेगा वेबसाइट से ली गई है। बकाया राशि ओर बढ़ सकती हैं; क्योंकि बहुतों का डेटा की इंट्री मनरेगा वेबसाइट पर अपलोड नहीं की गई है।
क्या कहते हैं जमुआ बीडीओ
बीडीओ अमल कुमार ने कहा कि वे शेड के मैटेरियल भुगतान की दिशा में काम कर रहे हैं। जेई स्तर से कंप्लीट निर्मित शेड की जांच की जा रही है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर उच्च पदाधिकारियों से उन शेडों के बकाया भुगतान का अनुरोध करेंगे ताकि उन योजनाओं को नियमानुसार बंद किया जा सके।
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