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जमुआ में 1952 से चला आ रहा मिथक तोड़ने में नाकाम रहे केदार हाजरा

जमुआ विधानसभा सीट पर इतिहास दोहराया गया है, जहां मंजू कुमारी ने केदार हाजरा को हराकर विधायक बनने का गौरव हासिल किया। मंजू, जो पूर्व विधायक सुकर रविदास की बेटी हैं, ने 2024 में 2005 के चुनाव का इतिहास...

Newswrap हिन्दुस्तान, गिरडीहSun, 24 Nov 2024 12:59 AM
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संदीप वर्मा गिरिडीह। जमुआ विधानसभा सीट पर तीन बार से अधिक कोई विधायक निर्वाचित नहीं हो सका है। 1952 में अस्तित्व में आया जमुआ विधानसभा का यह मिथक आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है। तीन बार विधायक रहे केदार हाजरा भी इस बार इस मिथक को तोड़ने में असफल रहे। झामुमो के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे केदार को हार का सामना करना पड़ा। 1952, 1967 व 1969 में कांग्रेस के सदानंद प्रसाद जमुआ के विधायक रहे। वहीं 1985 व 1990 में कम्यूनिष्ट पार्टी एवं 2000 में राजद के विधायक के रूप में बलदेव हाजरा ने विधानसभा में जमुआ का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा भाजपा के केदार हाजरा 2005, 2014 एवं 2019 में जमुआ के विधायक निर्वाचित हुए। बता दें कि जमुआ विधानसभा क्षेत्र बिहार राज्य का हिस्सा था। तब इस क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था और यहां से लगातार कई बार कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। झारखण्ड गठन के बाद कांग्रेस का गढ़ रहा यह सीट भाजपा का गढ़ बन गया और कांग्रेस यहां फिर कभी नहीं जीती। 2005 के पहले विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक भाजपा प्रत्याशी ने यहां चार बार तथा जेवीएम प्रत्याशी ने एक बार जीत दर्ज की है।

जमुआ ने दोहराया इतिहास, केदार को हरा मंजु बनी विधायक

जमुआ विधानसभा सीट पर दो दशक के अंदर इतिहास दोहराया है। केदार हाजरा को हराकर मंजु कुमारी विधायक बनी हैं। मंजू देवी जमुआ के पूर्व विधायक सुकर रविदास की बेटी है। जमुआ विस सीट के पुनर्गठन के बाद 1977 में हुए चुनाव में बीजेपी के सुकर रविदास विधायक निर्वाचित हुए थे। सुकर 1977 एवं 1995 दो बार जनसंघ व बीजेपी के विधायक रहे। 2005 में बीजेपी ने सुकर का टिकट काटकर केदार हाजरा को मैदान में उतारा था। इस चुनाव में केदार हाजरा चुनाव जीते थे। इसे संयोग ही कहा जायेगा कि 2005 में सुकर का टिकट काटने में जिन लोगों ने अहम भूमिका निभाई थी उन्हीं लोगों ने इस बार केदार का टिकट काटा है। साथ ही सुकर की बेटी कांग्रेस नेत्री मंजु कुमारी को चुनाव के ठीक पहले भाजपा में शामिल कराया और चुनाव मैदान में उतार दिया। मंजु ने इस सीट पर जीत दर्ज कर 2005 के इतिहास को 2024 में दोहरा दिया है।

1977 में जमुआ सीट हुआ है आरक्षित

जमुआ विधानसभा गठन के बाद सबसे पहले इसमें जमुआ एवं बेंगाबाद दो प्रखंड शामिल थे। 1977 में लोकसभा एवं विधानसभा सीटों का पुनर्गठन हुआ। इसी दौरान जमुआ विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया और जमुआ विधानसभा में जमुआ एवं देवरी प्रखंड को शामिल कर दिया गया। तभी जमुआ सीट अुनूसचित जाति के लिए आरक्षित है।

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