पुलिस से बचने के लिए दो साल से झारखंड के इलाके में रह रहा था अरविंद
बोकारो में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए नक्सली नेता अरविंद यादव उर्फ अविनाश पर 25 लाख रुपये का इनाम था। वह पिछले दो वर्षों से झारखंड में सक्रिय था और नक्सली संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था। उसकी...

लक्ष्मी/विजय गिरिडीह/देवरी। बोकारो में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए 25 लाख के इनामी नक्सली और बिहार झारखंड के शेक मेंबर नक्सली प्रवक्ता अरविंद यादव उर्फ अविनाश उर्फ अनुज पिछले दो सालों से जमुई में नक्सली संगठन के कमजोर पड़ने के बाद सुरक्षा बलों से बचने के लिए झारखंड के इलाके में भ्रमणशील था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, बीच-बीच में वह गिरिडीह-भेलवाघाटी के रास्ते चकाई के बोगी, बरमोरिया एवं चरकापत्थर के जंगली इलाकों में भी आता-जाता था।
सोनो प्रखंड के चरका पत्थर थाना क्षेत्र के भेलवा मोहनपुर के जमुना यादव का पुत्र और स्नातक डिग्रीधारी अरविंद यादव करीब तीन दशक से नक्सली संगठन में सक्रिय था। नक्सली संगठन में वह थिंक टैंक का काम करता था। अरविंद के विरुद्ध चिलखारी में पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी के पुत्र अनूप मरांडी समेत 20 लोगों की हत्या करने के मामले समेत भेलवाघाटी, देवरी, चकाई, सोनो थाना समेत गिरिडीह, जमुई, बांका जिले के सीमावर्ती इलाकों के थानों में में दर्जनों मामले उसके खिलाफ दर्ज हैं।
उसकी पुलिस मुठभेड़ में मौत से जमुई में अंतिम सांस गिन रहे नक्सली संगठन को बड़ा झटका लगा है। बिहार सरकार द्वारा उस पर 5 लाख तो झारखंड सरकार द्वारा उस पर 25 लाख रुपया इनाम घोषित था। बिहार झारखंड के सीमावर्ती एरिया में नक्सली घटनाओं को अंजाम देने में उसकी प्रमुख भूमिका रही है। झारखंड के बोकारो से लेकर जमुई, लखीसराय बांका और दुमका के इलाकों में भी वह संगठन का काम देखता था। उसकी मौत से नक्सली संगठन का अस्तित्व अब समाप्ति के कगार पर है। 30 साल से भी अधिक समय से नक्सली संगठन के लिए काम कर रहा था। इस कारण उसे पूरे इलाके की अच्छी जानकारी थी।
नए लोगों को जोड़ने में माहिर था नक्सली अरविंद : बताया जाता है कि पढ़े लिखे और लंबे कद काठी और बोलने में माहिर अरविंद नक्सली संगठन के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। वह नए लोगों को संगठन में जोड़ने में माहिर था। अपनी बातों से वह लोगों को संगठन में शामिल होने के लिए तैयार कर लेता था। सोनो प्रखंड के भेलवा मोहनपुर में आठ कमरों वाला उसका एक तल्ला मकान आज भी मौजूद है। इसमें आज भी उसके माता-पिता रहते हैं। बताया जाता है उसकी पत्नी फिलहाल मुंगेर में रहती है। सूत्रों के मुताबिक, उसके बच्चे उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं। पूर्व में उसके घर पर ईडी का रेड भी हुआ था।
22 जनवरी के मुठभेड़ में बाल-बाल बचा था अरविंद: बताया जाता है कि अविनाश उर्फ अरविंद इसी वर्ष 22 जनवरी को बोकारो के ऊपर घाट में हुए पुलिस नक्सली मुठभेड़ में बाल बाल बच गया था। वहां से बचने के बाद वह भेल्वाघाटी के रास्ते चकाई के बोगी बरमोरिया जंगल में पहुंच गया था। तीन दिन रहने के बाद वह अपने पैतृक घर मोहनपुर भी गया था। जहां पुलिस के आने की भनक लगते ही वह फिर बोकारो चला गया।
पश्चिम बंगाल के आसनसोल में भी है उसका घर: पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 25 लाख के इनामी नक्सली अरविंद यादव उर्फ अविनाश का पश्चिम बंगाल के आसनसोल में भी मकान है। 4 साल पूर्व पुलिस ने आसनसोल स्थित उसके घर पर दबिश थी तो वह अपनी पत्नी सहित वहां से निकल गया था। उसकी पत्नी नियमित रुप से आसनसोल में ही रहती थी। फिलहाल उसकी पत्नी के मुंगेर में रहने की बात बताई जाती है। अरविंद यादव का ससुराल सोनो के दुबेडीह गांव में बताया जाता है। हमेशा घड़ी पहनने के शौकीन अरविंद नक्सली संगठन के लिए जहां मुख्य थिंक टैंक था वहीं पुलिस और स्थानीय लोगों के लिए आतंक था। उसका पुलिस इनकाउंटर में मारे जाने के बाद झारखंड-बिहार पुलिस को एक बड़ी सफलता मिलने की बात कही जा रही है।
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