जमुआ में तीन बार से अधिक कोई नहीं निर्वाचित हो सका विधायक
गिरिडीह के जमुआ विधानसभा क्षेत्र में अब तक कोई महिला विधायक नहीं बनी है। 1952 से लेकर अब तक विभिन्न पार्टियों के विधायक चुने गए हैं। वर्तमान में बीजेपी के केदार हाजरा झामुमो प्रत्याशी के रूप में चुनाव...
गिरिडीह। जमुआ विधानसभा सीट पर तीन बार से अधिक कोई विधायक निर्वाचित नहीं हो सका है। वहीं कोई महिला भी अब तक इस सीट से विधायक नहीं बनी है। 1952, 1967 व 1969 में कांग्रेस के सदानंद प्रसाद जमुआ के विधायक रहे। वहीं 1985 व 1990 में कम्यूनिष्ट पार्टी एवं 2000 में राजद के विधायक के रूप में बलदेव हाजरा ने विधानसभा में जमुआ का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा भाजपा के केदार हाजरा 2005, 2014 एवं 2019 में जमुआ के विधायक निर्वाचित हुए। जमुआ के निर्वतमान विधायक केदार हाजरा फिलवक्त जमुआ सीट से झामुमो प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। इस बार अगर केदार जीत जातें हैं तो 1952 में जमुआ विस का चला आ रहा मिथक टूट जायेगा। जमुआ विधानसभा का गठन 1952 में हुआ है। यह विधानसभा क्षेत्र बिहार राज्य का हिस्सा था। तब इस क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता था और यहां से लगातार कई बार कांग्रेस के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। झारखण्ड गठन के बाद कांग्रेस का गढ़ रहा यह सीट भाजपा का गढ़ बन गया और कांग्रेस यहां फीर कभी नहीं जीती। 2005 के पहले विधानसभा चुनाव में यहां से भाजपा प्रत्याशी ने जीत दर्ज किया था। जमुआ विधानसभा गठन के बाद सबसे पहले इसमें जमुआ एवं बेंगाबाद दो प्रखंड शामिल था। 1977 में लोकसभा एवं विधानसभा सीटों का पुर्नगठन हुआ। इसी दौरान जमुआ विधानसभा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गया और जमुआ विधानसभा में जमुआ एवं देवरी प्रखंड को शामिल कर दिया गया। तभी जमुआ सीट अुनूसचित जाति के लिए आरक्षित है। पुनर्गठन के बाद 1977 में हुए चुनाव में बीजेपी के सुकर रविदास विधायक निर्वाचित हुए थे। सुकर 1977 एवं 1995 दो बार जनसंघ व बीजेपी के टिकट पर जमुआ के विधायक बने। 2005 में बीजेपी ने सुकर का टिकट काटकर केदार हाजरा को मैदान में उतारा था। इस चुनाव में केदार हाजरा चुनाव जीते थे। सुकर रविदास वर्तमान में जमुआ सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रही मंजू कुमारी के पिता है। इस बार बीजेपी ने केदार का टिकट काट कर सुकर की बेटी व कांग्रेस नेत्री रही मंजू को बीजेपी में शामिल कर चुनाव मैदान में उतारा है।
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