गरीब विधवाओं की टूट रही आस, न पेंशन न आवास
गिरिडीह में कई गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। विधवाएं, जिनके पति की मौत को कई महीने हो चुके, मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए परेशान हैं। कई बार पंचायतों और प्रखंडों के चक्कर लगाने के...
अजय सिंह गिरिडीह। सिस्टम की पेंच से गरीबों के लिए लाई गई कई सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक जरुरतमंदों को नहीं मिल पाता है। कई विधवाएं ऐसी भी है, जिसके पति के मौत के छह आठ महीने गुजर गए, पर उनको मृत्यु प्रमाण पत्र तक नहीं मिल सका है। सदर प्रखंड के अकदोनीखुर्द पंचायत में कई गरीब विधवा की आस अबुआ आवास और पेंशन पाने को लेकर टूट गई है।
वहीं अन्य पंचायतों में भी कई ऐसे गरीब हैं जो आज भी राशन कार्ड, अबुआ आवास, वृद्धा पेंशन, विधवा पेंशन व मंईयां सम्मान जैसी योजनाओं का लाभ लेने के लिए पंचायत से लेकर प्रखंड का चक्कर काटकर थक गए हैं, पर योजनाओं का लाभ मिला। पढ़े-लिखे नहीं रहने और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने के कारण ऐसे लोग बेबस होकर घरों में बैठ जाते हैं। सबसे अधिक पीड़ा ऐसे गरीबों को तब होती है जब उनकी आंखों के सामने सरकार की योजनाओं का लाभ वैसे लोग उठाते हैं, जो साधन संपन्न है। ऐसे में ये गरीब सरकार, शासन-प्रशासन और अपनी किस्मत को कोसते रहते हैं।
केस-1
सर्पदंश से पति की मौत के छह माह बाद भी नहीं मिला मृत्यु प्रमाण पत्र
सदर प्रखंड के अकदोनीखुर्द पंचायत के जोकटियाबाद गांव के मुन्नालाल पासवान को उसके घर में ही विषैले सांप ने काट लिया था। इसके बाद सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। शव का पोस्टमार्टम भी हुआ। छह माह बीतने के बाद भी मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिला है। मुन्नालाल की पत्नी रानी देवी ने बताया कि उसके पति नगर निगम में ही आउटसोर्सिंग के तहत मजदूरी करते थे। बताया कि कई बार सदर अस्पताल और निगम का चक्कर लगाए, पर मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर कुछ जानकारी नहीं मिली। कहा कि स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों का भी कोई विशेष सहयोग मृत्यु प्रमाण पत्र दिलाने को नहीं मिल रहा है। बताया कि मंईयां सम्मान योजना का फॉर्म ये कहकर नहीं भरने दिया गया कि उसको विधवा पेंशन मिलेगा। मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण विधवा पेंशन भी नहीं मिल रहा है। कहा कि सरकार आपके द्वार कैंप में दो बार अबुआ आवास के लिए भी फॉर्म भरे पर अभी तक लाभ नहीं मिला। बताया कि दो लड़के और एक लड़की है। किसी तरह दिन काट रहे हैं।
केस-2
लखिया को न पीएम आवास मिला न अबुआ आवास
सदर प्रखंड के अकदोनीखुर्द पंचायत के कोपा गांव में लखिया देवी कच्चे मकान में रहती है। दो बेटियां थी, दोनों की शादी कर दी। हर बरसात में कच्चे मकान के गिर जाने का डर सताता रहा। किसी तरह उसमें सालों गुजार दिए। सालों से पीएम आवास की गुहार लगाते लगाते थक गई। अबुआ आवास योजना आने पर उम्मीद जगी कि अब पक्का मकान उसे मिल जाएगा, पर कई बार फॉर्म भरने के बाद अबुआ आवास के लिए भी कोई सुगबुगाहट नहीं है। मुखिया द्वारा सिर्फ आश्वासन हीं मिल रहा है। पक्का मकान की आस देखते देखते महीने दिन पहले लखिया के पति भोला दास की भी मौत हो गई। अब लखिया अकेली बच गई हैं। कच्चे मकान में पूस की रात भी काटना कठिन हो गया है। लखिया ने बताया कि राशन कार्ड के अलावा उसे कोई योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। बताया कि तीन महीने पहले आपके द्वार कैंप में मंईयां सम्मान योजना का फॉर्म जमा किए, पर अभी तक एक किस्त भी पैसा नहीं मिला है।
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