आचार्य विद्यासागर के लाए गए चरणकमल को स्पर्श करने की लगी होड़
डुमरी में जैन धर्मावलंबियों ने आचार्य विद्यासागर जी महाराज के धातु निर्मित चरणकमल की आगवानी की। इसे छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ से लाया गया। शोभायात्रा में महिलाएं, पुरुष और बच्चे शामिल हुए। आचार्य श्री का...

डुमरी। राष्ट्रीय संत शिरोमणि समाधिस्थ आचार्य विद्यासागर जी महाराज की धातु निर्मित चरणकमल रविवार को छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ से इसरी लाया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए जैन धर्मावलंबी सुनील कुमार जैन ने बताया कि आचार्य श्री के चरण कमल अध्यात्मवेत्ता पंकज भैया जी ने डोंगरगढ़ से लाया है। इस खबर को सुनते ही जैन धर्मावलंबियों और भक्तों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। पंकज भैया के नेतृत्व में आचार्य श्री के चरण कमल को मस्तक पर विराजमान कर शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में महिला, पुरूष एवं बच्चे शामिल थे। जैन समाज के प्रदीप जैन, अशोक कुमार जैन, राजेश जैन (सरिया), सुनील कुमार जैन, अभय कुमार जैन, सोम जैन, बबलू जैन, सीमा जैन, रश्मि जैन, अनीता जैन, मयंक जिनेश जैन, प्रिंस जैन, पारस जैन, उदित जैन, सुषमा जैन, विनोद जैन, विवेक जैन, दीपक जैन, आतिश जैन, रविन्द्र जैन इत्यादि पूजन एवं शोभायात्रा में शामिल हुए। शोभायात्रा में बैंड बाजे की मंगल ध्वनि के बीच श्रद्धालुओं ने विद्यासागर जी महाराज के चरण कमल की अगवानी की।
विदित हो कि आचार्य श्री का जन्म 10 अक्टूबर 1946 में हुआ था। अपने मुनि जीवन में उन्होंने राष्ट्रीय संत का स्थान पाया। 18 फरवरी 2024 को संलेखना द्वारा इस महान संत ने डोंगरगढ़ में निर्वाण प्राप्त किया। उनका एक महत्वपूर्ण संदेश था कि आप दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा व्यवहार आप अपने लिए चाहते हो। वाणी और कर्म में समानता रखना मानव धर्म है।
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