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जैन समाज की याचिका के बाद आदिवासी समाज हो रहा एकजुट

मरांग बुरु पारसनाथ में परंपरागत हक अधिकार की लड़ाई में जैन और संथाल समुदाय आमने-सामने आ सकते हैं। जैन समुदाय ने मांस और मदिरा पर रोक की मांग की है, जबकि संथाल समुदाय ने विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई...

Newswrap हिन्दुस्तान, गिरडीहSun, 16 Feb 2025 06:08 PM
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जैन समाज की याचिका के बाद आदिवासी समाज हो रहा एकजुट

पीरटांड़, प्रतिनिधि। मरांग बुरु पारसनाथ में परंपरागत हक अधिकार की लड़ाई के लिए एक बार फिर जैन समुदाय व संथाल समुदाय आमने सामने हो सकते हैं। जैन समुदाय द्वारा पारसनाथ में अतिक्रमण तथा मांस मदिरा का सेवन व खरीद बिक्री की रोक की मांग के विरोध में संथाल समुदाय तैयारी शुरू कर दी है। आदिवासी समाज के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने न केवल बैठक कर आंदोलन की रणनीति बनाई है बल्कि कोष जमा कर कानूनी लड़ाई के लिए भी तैयारी में जुट गई है। जानकारी के अनुसार, जैन समुदाय से जुड़ी संस्था ने झारखंड उच्च न्यायलय में याचिका दायर कर मरांग बुरु पारसनाथ में मांस मदिरा का सेवन अथवा खरीद बिक्री पर रोक व सरकार के निर्देश का अनुपालन कराने की मांग की है। दायर याचिका में केंद्र व राज्य सरकार को पक्षकार बनाया गया है। याचिका 17 जनवरी 2025 को केस नंबर 231/ 2025 के तहत दर्ज की गई है। याचिका दायर होने के बाद से ही संथाल समाज रेस है। संथाल समाज जैन समुदाय के विरुद्ध याचिका में हस्तक्षेप करने के साथ साथ जन आंदोलन करने की रणनीति तैयार की है। संथाल समाज ने रांची गेस्ट हाउस में बैठक कर जैन समुदाय के प्रति निंदा प्रस्ताव पारित किया है। संथाल समाज मरांग बुरु बचाओ अतिक्रमण हटाओ के नारे के साथ आंदोलन की रणनीति तैयार की है। संथाल समाज के अनुसार मरांग बुरु पारसनाथ स्थित जुग जाहेर थान तथा दिशोम मांझी थान आदिवासियों के लिए पूजनीय स्थल है। आदिवासी समाज मरांग बुरु पारसनाथ में सेंदरा, बाहा पर्व समेत अन्य त्योहार परम्परागत तरीके से मनाते आ रहे हैं। बैठक में पारसनाथ पर्वत पर मांस मदिरा का सेवन अथवा खरीद बिक्री के बहाने याचिका दायर कर षड्यंत्र के तहत आदिवासियों का अधिकार छिनने का प्रयास पर मुहर लगाने का इसे प्रयास बताया जा रहा है। बैठक में आदिवासियो का परम्परागत अधिकार छिनने तथा लगातार पारसनाथ पर्वत पर अतिक्रमण करने का आरोप जैन समुदाय पर लगाया गया है। आदिवासी समाज ने जैन समुदाय पर न्यायालय से लेकर सरकार तक को गुमराह करने का भी आरोप लगाया है। बीते 9 जनवरी को झारखंड बिहार, बंगाल, ओड़िशा व असम के आदिवासी संगठन के प्रतिनिधियों ने रांची में बैठक कर विरोध प्रदर्शन का मन बनाया है। आदिवासी संगठन ने न्यायालय में दायर याचिका में हस्तक्षेप करने के साथ साथ आंदोलन की रणनीति तैयार की है।

12 मार्च को मधुबन मं निकाला जाएगा विरोध मार्च :आदिवासी संगठन ने 12 मार्च को मधुबन में विरोध मार्च निकालने का निर्णय लिया है। इस आंदोलन में झारखंड समेत विभिन्न राज्यों से अधिक से अधिक आदिवासियों को जुटने का आह्वान किया गया है। इस बाबत मरांग बुरु संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष महावीर मुर्मू ने बताया कि जैन समुदाय द्वारा याचिका दायर कर गुमराह किया जा रहा है। कहा कि पारसनाथ पर्वत पर मांस मदिरा की कोई दुकान नहीं है। उल्टा लगातार जैन संस्था द्वारा पहाड़ पर अतिक्रमण किया जा रहा है। आदिवासी संगठन चंदा इकट्ठा कर न केवल कानूनी लड़ाई लड़ेगी बल्कि हक अधिकार के लिए आंदोलन भी करेगा।

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