प्रदेश अध्यक्ष व कार्यकारी अध्यक्ष के गृह जिला में अधूरे रहे भाजपा के ख्वाब
गिरिडीह जिला में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र राय के सपने पूरे नहीं हुए। यहां की छह विधानसभा सीटों में भाजपा को केवल जमुआ सीट पर जीत मिली। अन्य सीटों पर झामुमो...
लक्ष्मी गिरिडीह। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और कार्यकारी अध्यक्ष रवींद्र राय के गृह जिला में भी भाजपा के ख्वाब पूरे नहीं हो सके। इससे राजनीतिक गलियारे में तरह तरह के चर्चे हैं।
ज्ञात रहे कि गिरिडीह जिला में विधानसभा की छह सीट है। हालांकि विगत चुनाव में भाजपा को केवल जमुआ (सु.अजा) सीट पर ही जीत मिली थी। बाबूलाल मरांडी झाविमो के टिकट से चुनाव लड़कर धनवार सीट पर कब्जा जमाया था। बाकी गिरिडीह, गांडेय और डुमरी सीट पर झामुमो और बगोदर सीट पर भाकपा माले का कब्जा था। इस चुनाव में भाजपा नेताओं ने यह सपना संजोया था कि इस जिले से झामुमो का सुपड़ा साफ हो जाएगा और सभी छह सीटों पर भाजपा जीत दर्ज करेगी। बगोदर व जमुआ विस क्षेत्र के बगोदर व देवरी में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की चुनावी सभा में मंच साझा करते हुए बाबूलाल मरांडी ने वोटरों से निवेदन किया था कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष गिरिडीह जिला से हैं इसलिए सभी छह सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित होनी चाहिए। लेकिन चुनाव नतीजे ने इस पर पानी फेर दिया है।
जिले की छह सीटों में गिरिडीह व गांडेय पर झामुमो अपना कब्जा बरकरार रखा है। भाजपा ने जमुआ पर तो अपना कब्जा बनाए रखा और धनवार व बगोदर सीट पर भी कब्जा जमा लिया। डुमरी में जेएलकेएम को रोकने में एनडीए गठबंधन की आजसू प्रत्याशी व झामुमो की बेबी देवी नाकाम रही। भाजपा जिले में तीन सीट पर जीत दर्ज कर संतोष भले कर ले पर यह सबको पता है कि धनवार सीट जीतने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को क्या कुछ करना पड़ा। निर्दलीय उम्मीदवार निरंजन राय को अगर असम के सीएम हिमंता बिस्व सरमा और गोड्डा सांसद निशकांत दुबे चुनाव के दो दिन पूर्व नहीं ले उड़ते तो धनवार सीट की कहानी भी कुछ और हो सकती थी। यहां यह बतला देना जरुरी है कि निरंजन राय के धनवार सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा करने के बाद आनन-फानन में रवींद्र राय को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। बावजूद भूमिहार का मास वोट निर्दलीय निरंजन राय की तरफ ही जाता दिख रहा था। इसलिए भाजपा नेताओं ने निरंजन राय को बैठाने और भाजपा को समर्थन दिलाने के लिए हर दांव चलना पड़ा। जमुआ भाजपा के खाते में पहले से ही थी वह बरकरार रहा। बहरहाल, इस रिजल्ट पर भाजपा शायद ही इतरा सके। अब भाजपा जिले में तीन सीट हारने की समीक्षा भले करे पर कहीं न कहीं भाजपा वोटरों को बूथ तक लाने में नाकामयाब रही। अपने ही जिले में प्रदेश अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष वोटरों को यह आश्वस्त नहीं कर सके कि मंईयां योजना से बेहतर गोगो दीदी योजना रहेगी। भाजपाई अन्य वायदे कर भी वोटरों को रीझा नहीं सके, नहीं तो नतीजा कुछ और होता।
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