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पांच आदिवासियों को झूठे मुकदमे से मुक्त कराएं राज्यपाल

गिरिडीह में मरांग बुरु सांवता सुसार बैसी जिला समिति ने पांच निर्दोष आदिवासियों पर झूठे मुकदमे के खिलाफ अपील की है। उन्होंने कहा कि मरांग बुरु आदिवासी समाज के लिए एक पवित्र स्थल है और इसके संबंध में...

Newswrap हिन्दुस्तान, गिरडीहThu, 13 Feb 2025 03:50 AM
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पांच आदिवासियों को झूठे मुकदमे से मुक्त कराएं राज्यपाल

गिरिडीह। मरांग बुरु सांवता सुसार बैसी जिला समिति ने मधुबन थाना कांड संख्या 13/24 में पांच निर्दोष आदिवासी क्रमश: बुधन हेम्ब्रम, साहेब राम मुर्मू, फागु मरांडी, सिकन्दर हेम्ब्रम और अर्जुन हेम्ब्रम पर नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 35(3) के तहत नोटिस दिया गया है, इन्हें इससे मुक्त कराने की अपील की गई है। संस्था अध्यक्ष नुनका टुडो, सह सचिव अर्जुन हेम्ब्रम, आदिवासी छात्र संघ के केन्द्रीय सचिव प्रवीण मुर्मू, बुधन हेम्ब्रम, सिकंदर हेम्ब्रम, फागु मरांडी, साहेबराम मुर्मू आदि ने बुधवार को सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता कर कहा कि इस मामले में पत्र राज्यपाल को भी दिया गया है। जिसमें कांड संख्या 13/24 में जो निर्दोष लोगों पर झूठे मुकदमे हैं, उससे मुक्त कराने की अपील की गई है। कहा कि जिले में मरांग बुरु (पारसनाथ ) राज्य का सर्वोच्च शिखर है, आदिवासी समाज का विश्व प्रसिद्ध पूज्यनीय और वंदनीय मरांग बुरु जुग जाहेर थान हैं। मरांग बुरु (पारसनाथ पर्वत ) की चोटी पर जुग जाहेर थान एवं छत्रपल तलहटी में दिशोम मांझीथान अवस्थित है, जहां सृष्टिकाल से आदिवासी समाज बलि प्रथा के साथ पूजा अर्चना करता आ रहा है।

देश-विदेश के लोग मरांग बुरु की करते हैं पूजा

कहा कि देश-विदेश के लोग मरांग बुरु को पूजते व अनुशरण करते हैं। आदिवासी इस पवित्र भूमि के लिए धार्मिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और समाज आंदोलित भी है। कहा कि हम सभी जैन समाज के पूजा भाव और उनके आस्था के विरोधी नहीं हैं। लेकिन हमारी आस्था और पूजा के लिए पहाड़ का जो हिस्सा चिन्हित है, अवरोध पैदा करनेवालों के विरद्ध उचित कानूनी कार्रवाई करने की अपील करते हैं।

मुख्यमंत्री की पत्नी मांगी थी मन्नत

पत्र में घटना का जिक्र करते हुए कहा कि 19 जुलाई 2024 को दिशोम मांझी थान मधुबन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी धर्मपत्नी सह गांडेय विधायक कल्पना सोरेन अपने समर्थकों के साथ डीसी व एसपी, प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी व पुलिस प्रशासन और बीडीओ के नेतृत्व में ढोल, मांदर, नगाड़े बजाते दस बकरा लेकर आए थे। मांझी थान में मुख्यमंत्री और उनकी धर्मपत्नी की उपस्थिति में दस बकरों को बारी-बारी से अक्षत खिलाया गया। इसके बाद पूजा में मुख्य भूमिका निभा रहे बाबूराम सोरेन, भारती चलकरी और पुजारी चंदोलाल टुडू से समाज के लोगों ने यह पूछा कि बकरे की बलि होगी या नहीं। इस पर कहा गया कि मुख्यमंत्री द्वारा अक्षत खिलाया गया है तो बकरे की बलि नहीं होगी ता किसकी होगी।

कहा कि धर्मपुजारी चंदोलाल ने लोगों की मौजूदगी में फरसा और तलवार दिखाया। विश्वास दिलाया कि बलि होकर रहेगी, क्योंकि जब मुख्यमंत्री जेल में थे और उनकी धर्मपत्नी गांडेय चुनाव के पूर्व मांझी थान में लोटा-पानी से मन्नत मांगी थी कि चुनाव जीते और पति जेल से बाहर आए तो आदिवासी रीति रिवाज से दस बकरों की बलि देंगे। मुख्यमंत्री मांझीथान से चलने लगे, तब दस में से एक बकरे का पुजारी के आदेशानुसार बलि दी गई। नौ बकरों को उनके समर्थक लेकर भाग गए। कहा कि सामाजिक तौर पर आदिवासी समाज बलि का समर्थक है।

आस्था है तो डंडे की चोट पर कहें

जारी पत्र में कहा कि वे मुख्यमंत्री हेमंत का सिर्फ एक बात का विरोध करते हैं। उनका आदिवासी समाज के साथ दोहरा चरित्र है। यदि हेमंत को जुग जाहेर थान, दिशोम मांझी थान और मरांग बुरु में आस्था है तो डंके की चोट पर इसका एलान करें। जैन धर्म और आदिवासियों के सांस्कृतिक संघर्ष के बीच चल रहे असमंजस की स्थिति को संतुलित रास्ता निकालकर आदिवासी समाज का दिल जीतने का काम करें।

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