टाउन हॉल में ग्रामीण विकास विभाग व बीआरएलए फका जीवी द हासा परियोजना को लेकर कार्यशाला
परियोजना के तहत जिले में संचालित होगी जलछाजन योजनाओं: डीसी परियोजना के तहत जिले में संचालित होगी जलछाजन योजनाओं: डीसी परियोजना के तहत जिले में...
गुमला संवाददाता
नगर भवन में ग्रामीण विकास विभाग और बीआरएलएफ के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को जीवी द हासा परियोजना को लेकर कार्यशाला आयोजित हुई। कार्यशाला को संबोधित करते हुए उपायुक्त शिशिर कुमार सिन्हा ने कहा कि इस परियोजना के तहत गुमला जिले के घाघरा, गुमला, पालकोट, बसिया, कामडारा, रायडीह एवं भरनो प्रखंड में जलछाजन योजनाओं को संचालित किया जाएगा। परियोजना का मुख्य उद्देश्य ग्राम पंचायतों को मजबूत करने के साथ ही योजनाओं के नियोजन, निगरानी व कार्यान्वयन में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करना है। यह परियोजना चार वर्षों के लिए क्रियान्वित की जाएगी। इसके लिए जिला स्तरीय समन्वय समिति का गठन किया गया है।
साथ ही प्रखंडों में बीडओ की अध्यक्षता में प्रखंड स्तरीय समन्वय समिति का गठन किया जाना है। जीवी द हासा परियोजना में सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि सहित मनरेगा कर्मी पंचायत प्रतिनिधियों के समन्वय से प्रखंडो में जलछाजन के क्षेत्र में कार्य किया जाना है। परियोजना की सफलता के लिए प्रशासनिक नेतृत्व के साथ ही संबंधित विभागों के बीच परस्पर समन्वय एवं अभिसरण की आवश्यकता है। इसके माध्यम से किसानों की आय वृद्धि के साथ ही कृषि,पशुपालन, मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। कार्यशाला में डीडीसी संजय बिहारी अम्बष्ठ ने कहा कि राज्य स्तरीय इस परियोजना में गुमला जिला को शामिल किया जाना गुमला के लिए एक उपलब्धि है। जिले में योजना के क्रियान्वयन के लिए सिविल सोसायटी व गैर सरकारी संगठन के रूप में विकास भारती, प्रदान व डब्ल्यूओटीआर को चयनित किया गया है। विकास भारती द्वारा विशुनपुर व डुमरी प्रखंड, प्रदान द्वारा कामडारा व भरनो प्रखंड, डब्ल्यूओटीआर द्वारा अलबर्ट एक्का जारी व चैनपुर प्रखंड और मनरेगा जलछाजन इकाई द्वारा घाघरा, गुमला, पालकोट व रायडीह प्रखंड में योजना का क्रियान्वयन किया जाएगा। मनरेगा जलछाजन इकाई के तकनीकी कोषांग द्वारा मनरेगा की राशि से उपयोगी संरचना का निर्माण किया जाएगा। जिले में 1.5 लाख हेक्टेयर भूमि में जलछाजन द्वारा उत्तम कृषि के लिए योजना संचालित की जाएगी।वहीं अपर समाहर्ता सुधीर गुप्ता ने कहा कि इस परियोजना के द्वारा कृषि,पशुपालन, सहकारिता, जलछाजन मिशन, एनआरएलएम एवं अन्य तकनीकि संस्थानों के सहयोग से जिला स्तरीय समन्वय समिति के माध्यम से अभिसरण के क्षेत्र में कार्य किया जाना है। वर्षा के जल को संचित करने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग संसाधनों को विकसित किया जाएगा। मृदा व जल प्रबंधन द्वारा भूमि की नमी में बढ़ोत्तरी करना तथा प्राकृतिक वर्षा पर निर्भरता को कम करना है। योजना के द्वारा टांड़ भूमि पर भी जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। जिससे जिले में बहु फसलीय कृषि को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि जिले में मुख्य रूप से धान की खेती की जाती है। सिंचाई साधनों के विकास तथा जलछाजन की व्यवस्था हो जाने पर धान के साथ ही सब्जी, फल, फूल की खेती में भी किसान सक्रिय होंगे जिससे उनके आय में वृद्धि होगी। कार्यशाला में जलछाजन मिशन के तकनीकी विशेषज्ञ द्वारा आडियो-वीडियो प्रजेंटेशन के माध्यम से परियोजना के संदर्भ में जानकारी साझा की गई। मौके पर गुमला एसडीओ रवि आनन्द, बसिया एसडीओ संजय पीएम कुजूर, चैनपुर एसडीओ प्रीतिलता किस्कू, डीपीआरओ देवेन्द्रनाथ भादुड़ी, पदाधिकारी सत्यनारायण महतो समेत विभिन्न विभागों के पदाधिकारी और स्वंयसेवी संस्था के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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