Hindi Newsझारखंड न्यूज़गुमलाProtecting your paddy crops in farmers in the district with the help of Mirchi and Potato Bombs

मिर्ची और आलू बमों सहारे जिले में किसान में अपनी धान की फसलों की कर रहे सुरक्षा

गुमला में मानव और हाथियो के बीच द्वंद की घटनाएं बढीगुमला में मानव और हाथियो के बीच द्वंद की घटनाएं बढीगुमला में मानव और हाथियो के बीच द्वंद की घटनाएं बढीगुमला में मानव और हाथियो के बीच द्वंद की...

Newswrap हिन्दुस्तान, गुमलाSun, 25 Oct 2020 03:01 AM
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आदिवासी बहुल गुमला झारखंड हाथी प्रभावित जिला है। जिले की सीमाएं पड़ोसी राज्य छतीसगढ़ से सटती है। छतीसगढ़ से सटने वाले जिले के दो प्रखंडो परमवीर अलबर्ट एक्का जारी और डुमरी के अलावे भरनो प्रखंड के अमलिया जंगल के आस पास बसे गांवो में सालों भर हाथियो का उत्पात चलता रहता है। आए दिन हाथी गांवों में घुस कर लोगों के घर में रखे धान को चट कर जाते हैं,खेतों में लगी फसलें खा जाते या नष्ट कर देते हैं,घरों को तोड़ देते हैं। इससे लोगों को जान-माल की भी क्षति होती है। इस क्षेत्र में मानव और हाथियो के बीच द्वंद की घटनाएं चलती रहती है। हालिया वर्षो में मानव और हाथियो के द्वंद को लेकर टकराव की घटनाएं खेती बाड़ी के मौसम में बढ़ गई है। पिछले कुछेक महीनों से जिले के परमवीर अलबर्ट एक्का जारी और भरनो प्रखंड में टकराव की घटनाएं लगातार हो रही है। जंगली हाथी दोनो प्रखंडो में धान की फसलें और सब्जियों के खेतो को रौंद कर या खा कर बर्बाद कर रहे हैं। जिससे ग्रामीण अपने खेतों में लगभग तैयार धान की फसलों और सब्जी के खेतों को बचाने के लिए रात भर जाग कर पहरा देने को विवश हैं। बावजूद इसके जंगली हाथी भरनो प्रखंड के कारालोया,अमलिया,वनटोली,रायकेरा और इसके आस-पास के गांवो और जारी प्रखंड के श्रीनगर,बिछड़ा,परसा,कोदा,बड़काडीह,डूमरपानी,रेंगारी,सिंगपुर समेत कई गांवों में फसलों को तो बर्बाद कर ही रहे हैं,ग्रामीणों के घरो को ध्वस्त कर रहे है। जिससे इलाके के सैकड़ो किसान परेशान है। इन दिनों भरनो के इलाके में 22 जंगली हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है। वन विभाग ने ग्रामीणों को सतर्क करते हुए उनके बीच मिर्ची बम और आलू बम वितरित किये हैं।

साथ ही मशाल के लिए डीजल और टॉर्च दिए हैं। जिसके सहारे अपने खेतों में तैयार धान की फसल और सब्जी खेतो की रक्षा किसान कर रहे हैं। जो अब पर्याप्त साबित नही हो रहे है। ग्रामीण बताते है कि हाथी भी पटाखों के आवाज के आदि होते जा रहे है। फलस्वरूप गांवो में हाथियो के घुस आने बाद किसान गोलबंद हो मशाल जला कर हाथियो के जंगलों की ओर खदेड़ते है। बावजूद इसके हाथी गांवो में दुबारा आ जा रहे हैं। जिससे हाथी प्रभावित गुमला में हाथी और मानव के बीच चलने वाला द्वंद सालोभर चलता रहता है। जिले के जारी और भरनो के अलावे बसिया,कामडारा,रायडीह,पालकोट और सिसई प्रखंड क्षेत्र के गांवो में भी हाथी का आतंक और उत्पात चलता रहता है।

दुर्गा पूजा के बाद पुन: किसानों को मिलेंगे बम और मोबिल: डीएफओ

वन प्रंडल गुमला के डीएफओ श्रीकांत ने बताया कि पिछले कुछ दिनों के दौरान जारी और भरनो प्रखंड क्षेत्र में जंगली हाथियो की सक्रियता बरकरार रही है।विभाग ने दोनों प्रखंडो के हाथी प्रभावित गांवों के लोगो के बीच क्रैकर,मोबिल का वितरण किया है। और ग्रामीणों को हाथियों के नजदीक नही जाने की सलाह दी है। दुर्गा पूजा के बाद भी ग्रामीणों के बीच क्रैकर,मोबिल और मशाल का वितरण किया जाएगा। बावजूद इसके हाथी किसानों के भंडारित धान की फसल बर्बाद करते हैं तो 16 रूपये प्रति किलो के दर से ,खेत में लगे फसल को नुकसान पहुंचाने पर क्षति का आकलन कर मुआवजा राशि का भुगतान किया जायेगा।

सर्वाधिक प्रभावित गांवों में वन विभाग लगायेगा सोलर लाईट :

वन प्रमंडल गुमला जंगली हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित गांवो में ग्रामीणों और उनके फसलों को बचाने के लिए सोलर लाइट लगाने का निर्णय लिया है। इसी योजना के तहत भरनो के वन टोली में विभाग ने चार सोलर लाइट लगाये है। अन्य गांवो में भी इसे लगाने की योजना है। विभाग ने इस आशय का प्रस्ताव तैयार की है। हाथी गांवों में रौशनी होने उस ओर रूख नही करेंगे। इसके अलावे वन प्रमंडल ने गुमला में हाथियों और मानवों के बीच चलने वाले द्वंद को रोकने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है। इसके तहत हाथियों के आश्रय वाले स्थल में ही उनके लिए भोजन-पानी को बढावा दिया जायेगा।

भरनों के किसान पराली,तो जारी में किसान मिर्ची-तंबाकू डाल कर जला रहे मशाल :

जिले के भरनो इलाके किसान इन दिनों अपने धान फसलों और सब्जियों के खेतों की रक्षा करने के लिये खेत के किनारे पराली (पुआल) और धान के भूषा को जला रहे हैं। किसान बता रहे है कि जंगली हाथी की आशंका को देख वे खेत के किनारे पराली या धान का भूषा जलाते है, जिससे रात भर धुंआ निकलता है। धुंआ के कारण हाथी खेतो की ओर नही आते है। इसी तरह छतीसगढ से सटने वाले जारी प्रखण्ड के कई गांवो के ग्रामीण मशाल के साथ लाल मिर्च या फिर तम्बाकू जला कर छोड़ देते है। जिससे कुछ हद तक किसान को खेतों तक हाथियो आने से रोकने के लिये थोड़ी बहुत मदद मिली है। ग्रामीणों का मानना है कि जलते हुए मशाल के धुएं से हाथी आसपास नहीं आएंगे। और अपना रास्ता बदल लेंगे। और फसल की रक्षा हो पाएगी।

खेत बिजली के तार लगाने से वन टोली में हो गई थी एक हाथी की मौत :

हाथियों और मानवों के बीच चलने वाले द्वंद के दौरान जिले में कई बार ऐसी वारदात होती है,जो राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बन जाती है। करीब आठ माह पूर्व जिले के भरनो के प्रखंड के वनटोली में जंगली हाथियों से परेशान एक किसान ने अपने खेतो को बचाने के लिए खेत में लोहे की नंगी तार लगा इसमें बिजली की करंट प्रवाहित कर दी थी। जिसके चपेट में आने एक विशाल काय हाथी की मौत हो गई थी।

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