सुमित्रा ने सिलाई का प्रशिक्षण हासिल कर बनी स्वावलंबी
फोटो 2 सिलाई करती सुमित्रा और उसके पति। फोटो 2 सिलाई करती सुमित्रा और उसके पति।फोटो 2 सिलाई करती सुमित्रा और उसके पति।
गुमला प्रतिनिधि। केवल बेरोजगारी व आर्थिक स्थिति का बहाल देकर व्यवस्था को कोसना गैर मुनासिब है। जिन लोगों ने सरकार की कल्याणकारी स्कीमों में अपनी दिलचस्पी व संजीदगी दिखायी है,वे आज स्वालंबन व परिवार की बेहतर परवरिश करने में सक्षम दिख रहे है। अलग-अलग क्षेत्रों में प्रशिक्षण व इसके उपरांत बैंको की मदद से स्वरोजगार के सहारे कई परिवार संपन्नता-सम्मान के साथ जीवन बसर कर रहे है। कुछ ऐसी ही कहानी चैनपुर के टोंगो निवासी सुमित्रा तिर्की ने लिखी है। सुमित्रा ने ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान गुमला से 30 दिवसीय आवासीय सिलाई प्रशिक्षण प्राप्त किया, और बैंक ऑफ इंडिया चैनपुर शाखा से 35 हजार के लोन के सहारे सुमित्रा ने अपना काम शुरू किया,और गांव में ही सिलाई शुरू की। सुमित्रा के इस प्रयास-पहल में उनके पति का सहयोग मिला,और पति-पत्नी मिलकर गांव में सिलाई के कारोबार से बेहतर तरीके से परिवार की परवरिश करने में सफल हुये है। सुमित्रा आरसेटी से प्राप्त ट्रेनिंग व बैंक की मदद को अपने जीवन का टर्निग प्वांइट मान रही है। दूसरों युवा-युवतियों को भी अपने पंसद के फील्ड में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।
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