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नशा पान और अशिक्षा सबर जाति के लिए अभिशाप, लगातार घट रही संख्या

रामचन्द्रपुर सबर बस्ती के लोग लगातार गरीबी और अशिक्षा से जूझ रहे हैं। सरकार द्वारा करोड़ों रुपये की घोषणा के बावजूद, इन लोगों को केवल राशन और पेंशन ही मिलती है। रोजगार के अवसर सीमित हैं, जिससे पलायन...

Newswrap हिन्दुस्तान, घाटशिलाFri, 31 Jan 2025 08:31 PM
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नशा पान और अशिक्षा सबर जाति के लिए अभिशाप, लगातार घट रही संख्या

कालचित्ति पंचायत के रामचन्द्रपुर सबर बस्ती में रहने वाले लोग लगातार नाशपान की जद में आने और अशिशा की मार झेलने के कारण नारकीय जीवन जीने को विवश हैं। समाज के अंतिम व्यक्ति कहे जाने वाले आदिमजनजाती के सबरो के विकास के लिए सरकार द्वारा हर साल करोड़ो रुपया देने की बात कही जाती है, लेकिन सुविधा के नाम पर इन सबरों को सिर्फ राशन और कुछ को पेंशन ही नसीब होता है। रोजगार के नाम पर सबर जाती के लोग जंगल से लकड़ी लाकर जो बेचते है, और उससे आय होती है, उसी से परिवार चलता है। लेकिन लगातार बढ़ती मंहगाई के कारण इससे इनका गुजारा नही होता, जिसके कारण इनका लगातार पलायन हो रहा है। लेकिन इसे रोकने को लेकर सरकार की ओर से कोई पहल नही होती है। दूसरी ओर अशिक्षा के आभाव में ये दिन दुनिया से हमेशा दूर रहने का प्रयास करते है, साथ ही सही पोषण युक्त खान पान नही होने के कारण ये शीघ्र बिमार होकर दुनिया को असमय ही छोड़ जाते है। पिछले सात आठ साल की बात करे तो इस बस्ती में परिवारों को संख्या 32 थी और जनसंख्या करीब 100 के आसपास था। लेकिन आठ साल में परिवारों की संख्या घटकर 25 से 26 रह गई और इस दौरान एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत किसी का किसी कारण से हो गयी। स्कूल की बात करे तो पास के ही हिरागंज मवि में वर्ष 2017 में सबर छात्र छात्राओ की संख्या-30 से 32 थी, लेकिन वर्तमान में इनकी संख्या 8 से 10 है। यहां इन बातों का जिक्र करना इसलिए जरुरी है कि सरकार लुप्त होती इस समुदाय के लोगों को हर सुख सुविधा देने के लेकर करोड़ो रुपया साल में फंड देने की बात कहती है, लेकिन वह सुविधा इनतक नही पहुंचने के कारण इनकी संख्या बढ़ने के वजाय घटती जा रहा है। इस बस्ती में चौकाने वाली बात यह है कि वर्तमान में पुरुषो की संख्या काफी कम और महिलाओ को संख्या ज्यादा है। हालांकि इस संबंध में एसडीओ सुनील चन्द्र से पक्ष लेने के लिए फोन लगाया गया. लेकिन उनका मोबाईल स्वीच ऑफ बता रहा था, इसलिए उनका पक्ष नही रखा जा सका।

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