झाड़ियों से घिरा एचसीएल 300 शय्या वाले अस्पताल
मुसाबनी प्रखंड में स्वास्थ्य सेवाएं बेहद खराब हैं। स्थानीय लोगों को 12 किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है। 2002 में स्थापित 300 बेड का अस्पताल अब बंद है और स्थिति जस की तस बनी हुई...
मुसाबनी प्रखंड में स्वास्थ्य सेवा का हाल खराब है। लिहाजा मुसाबनी के लोगों को लगभग 12 किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केन्दाडीह जाना पड़ता है। इसके अलावा आपात स्थिति में रेफर करने पर 60 किलोमीटर दूर जमशेदपुर जाने को विवश हैं। ऐसे में कभी-कभार समय पर इलाज नहीं होने पर मरीजों की मौत हो जाती है। बता दें, एक समय एचसीएल द्वारा स्थापित अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 300 बेड वाले अस्पताल था। यहां दवा, ब्लड बैंक, ऑपरेशन थिएटर सहित कुशल चिकित्सक और नर्स की पूरी टीम थी। परंतु 2002 में जब एक-एक कर एचसीएल की सभी खदानें बंद होती गई तो कंपनी प्रबंधन ने इस अस्पताल को भी बंद कर दिया। माइंस में तैनात 14000 कर्मचारियों का इलाज किया जाता था। अब पूरा अस्पताल परिसर जंगल जैसा दिखने लगा है। बड़े-बड़े पेड़ उग आए हैं। सन 2022 में झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस अस्पताल का दौरा किया था। उस समय उन्होंने घोषणा की थी कि इस अस्पताल को चालू किया जाएगा। परंतु इनके आश्वासन के बावजूद आज भी स्थिति जस की तस बनी है। यहां स्वास्थ सुविधा नहीं होने के बावजूद झारखंड विधानसभा चुनाव के समय यह चुनावी मुद्दा नहीं बना। किसी भी राजनीतिक दलों ने इस बारे में कुछ भी नहीं कहा। हालांकि हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की लगभग सभी खदानें व कंसंट्रेटर संयंत्र इस समय मुसाबनी प्रखंड में है। इसके बावजूद कंपनी प्रबंधन ने कभी स्वास्थ सुविधा को लेकर कोई पहल नहीं की। प्रबंधन द्वारा सीएसआर कार्यक्रम के तहत एक एंबुलेंस एक डॉक्टर एक नर्स के साथ विभिन्न गांव में कैंप लगाकर इलाज के नाम पर खानापूर्ति की जाती है।
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