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चंदे से चल रहा सिदो-कान्हू विद्यालय, अर्थाभाव में बुझ रही शिक्षा की लौ

नरवा पहाड़ यूरेनियम प्रोजेक्ट के पास स्थित सिदो-कान्हू मेमोरियल उवि विद्यालय में सरकारी सुविधाओं की कमी से 200 आदिवासी विद्यार्थियों पर असर पड़ रहा है। 42 वर्षों से चंदे पर चल रहा यह विद्यालय अब...

Newswrap हिन्दुस्तान, घाटशिलाFri, 31 Jan 2025 08:01 PM
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चंदे से चल रहा सिदो-कान्हू विद्यालय, अर्थाभाव में बुझ रही शिक्षा की लौ

नरवा पहाड़ यूरेनियम प्रोजेक्ट से सटे एक ऐसा विद्यालय है, जहां सरकारी सुविधाएं नहीं दी जा रही है। ऐसे में दो सौ आदिवासी विद्यार्थियों पर इसका असर पड़ रहा है। तकरीबन 42 वर्षों से चंदे के सहारे विद्यालय का संचालन हो रहा है। हम बात कर रहे हैं सिदो-कान्हू मेमोरियल उवि की। जमशेदपुर प्रखंड मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर सुंदरनगर-जादूगोड़ा मुख्य मार्ग पर स्थित केड़ो गांव में 1982 में ग्रामीणों ने जमीन दान कर स्कूल की नींव रखी थी। इसका मकसद यह था कि आदिवासी बहुल क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाई जाए, लेकिन इतने अरसे बाद भी इस विद्यालय को स्थायी प्रस्वीकृति नहीं मिली। लिहाजा सरकारी वित्तीय सहायता के अभाव में शिक्षा की लौ बुझने लगी है। विद्यालय की छात्राएं प्रेमा हांसदा कहती हैं, यह विद्यालय वित्त रहित होने की वजह से साइकिल, ड्रेस, मध्याह्न भोजन समेत छात्रवृति जैसी योजनाओं से वंचित है। ऐसे में बच्चों ने हेमंत सरकार से स्कूली बच्चों को सरकारी सुविधा समेत शिक्षकों को मानदेय चालू करने की मांग उठाई है ताकि शिक्षकों को भूखे पेट काम नहीं करना पड़े। विद्यालय के प्राचार्य बनवारी दास, जयति मुंडा, दुलू राम सरदार कहते हैं कि इस क्षेत्र के आस-पास बारहवीं कक्षा तक पढ़ने के लिए कोई स्कूल नहीं था। तब इस स्कूल की नींव रखी गई। कई सरकारें आय और व गई, लेकिन इस वित्त रहित विद्यालय को वित्तीय सहायता दिलाने में विधायक व सांसद ने कभी ध्यान नहीं देना जरूरी नहीं समझा गया। आलम यह है कि बिना वेतन के ही शिक्षक अपनी सेवा देने को विवश हैं। इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं हैं। बहरहाल देखना यह है शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन की नजर कब इस स्कूल पर पड़ती है व विद्यालय का कायाकल्प होता है।

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