नुआग्राम में मकर कीर्तन करने की परंपरा आज भी जीवित
पोटका में भक्तों ने पौष संक्रांति पर गंगा स्नान और मकर कीर्तन का आयोजन किया। गाँव के तालाब में स्नान के बाद, कीर्तन मंडली ने घरों तक कीर्तन किया। मकर संक्रांति का महत्व भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की...
पोटका । जैसा कि मान्यता है पौष संक्रांति के दिन भक्त भगीरथ ने माँ गंगा को मृत्युलोक में तपस्या करके उनके अभिशप्त सागर वंश को मुक्ति दिलाने के लिए गंगा सागर के कपिल मुनि के आश्रम में लाए थे, इसलिए माँ गंगा का और एक नाम भागीरथी भी है। माँ गंगा का स्पर्श पाकर सागर वंश का उद्धार हुआ था, इसलिए पौष संक्रांति में गंगा स्नान करने का महत्व है। सभी लोग गंगा स्नान करने के लिए गंगा नहीं जा पाते हैं इसलिए गाँव के लोग कोई नदी अथवा तालाब में जाकर स्नान करते है, नए वस्त्र पहनते हैं और मकर संकीर्तन गाते हुए घर आते हैं। यह धार्मिक परंपरा आज भी पोटका के नुआग्राम में जीवित हैं। पूर्व की परंपरा का निर्वाह करते हुए ग्रामीण कीर्तन मंडली सुनील कुमार डे के नेतृत्व में गांव के तालाब से मकर कीर्तन करते हुए घरों तक मंगलवार को आये। इस संबंध में श्री डे ने कहा कि
मकर कीर्तन करने के पीछे यह भी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी के साथ मकर के दिन मिले। उन्होंने कहा कि कीर्तन मंडली मकर कीर्तन के उपरांत गांव के शिव मंदिर का परिक्रमा करते हुए लक्ष्मी मंदिर में कीर्तन का समापन किया। कीर्तन के पश्चात मकर चावल और तिल लड्ड़ू प्रसाद के रूप में वितरण किया गया। कीर्तन मंडली में शंकर चंद्र गोप,भास्कर चंद्र डे,स्वपन डे,तरुण डे,तपन डे,सरोज कुमार कुंडू,गगन बिहारी डे, प्रशांत डे,शैलेन्द्र प्रामाणिक,प्रदीप डे,अरुण पाल,अर्जुन मुदी,आशीष डे,उत्पल मंडल शामिल थे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।