शिलान्यास के साढ़े तीन साल बाद भी एकलव्य विद्यालय अधूरा
झारखंड के धालभूमगढ़ प्रखंड के राहरगोड़ा में आदिम जनजाति के बच्चों के लिए एकलव्य विद्यालय का निर्माण 42 महीने बाद भी पूरा नहीं हुआ है। यह विद्यालय 4 जुलाई 2021 को शिलान्यास किया गया था। 18 करोड़ की...
केन्द्र सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना आदिम जनजाति के बच्चों के उत्थान के लिए धालभूमगढ़ प्रखंड के राहरगोड़ा में बन रहा एकलव्य विद्यालय के शिलान्यास के साढ़े तीन वर्ष बाद भी पूरा नही हो पाया है। 18 करोड़ की लागत से बनने वाले इस विद्यालय का शिलान्यास 4 जुलाई 2021 को तत्कालीन जनजाति विकास मंत्री अर्जुन मुंडा ने तत्कालीन झारखंड सरकार के कल्याण मंत्री चंपई सोरेन के साथ तथा सांसद विद्युत वरण महतो एवं विधायक रामदास सोरेन की उपस्थिति में शिलान्यास किया था। इस विद्यालय में 240 लड़कों एवं 240 लड़कियों को पढ़ाई के साथ साथ रहने खाने की व्यवस्था की बात कही गयी थी। 24 माह के कार्यआदेश पर रांची की जुनैद इंटरप्राइजेज द्वारा कार्य को संपन्न किया जाना था। मगर 42 महीने पूरे होने के बाद भी आज भी एकलव्य विद्यालय पूरा नहीं हो सका है । साइड इंचार्ज दीपक कुमार ने बताया 31 दिसंबर तक का काम पूरा कर लिया जाएगा। जबकी भवन का निरीक्षण करने पर रसोईघर में विद्युत उपकरण तथा प्लंबिंग का काम एवं कुछ जगहों पर टाइल्स वगैरह का काम अभी पूर्णता बाकी है। जिन जगहों पर टाइल्स नहीं लगाई गई है, वहां पर काले ईंटों से दीवाल का निर्माण प्रदर्शित हो रहा है। पूछे जाने पर साइड इंचार्ज दीपक कुमार ने बताया यह हमारे एग्रीमेंट में है एवं यह काला ईटा टेस्ट किया गया तथा प्रमाणित किया हुआ है । दूसरे काले ईटों की अपेक्षा यह मजबूत है। फिर भी मैं व्यक्तिगत रूप से लाल ईटा को ही पसंद करता हूं, मगर मेरा एग्रीमेंट और कार्यदेश काले ईटा का है । विद्यालय में मुख्य रूप से कक्षाओं से निकालकर रसोई घर, डाइनिंग हॉल, जनरेटर घर आदि अन्य किसी भी जगह पर जाने के लिए रास्ते अभी पूर्ण रूप से नहीं बनाए गए हैं। इन रास्तों को भी बनाने में समय लगेगा और विद्यालय निचे जगह पर होने के कारण बरसात में समुचित जल निकास की व्यवस्था न होने पर पानी जमा होने का भय बना रहेगा। पहले फेज का काम अभी पूरा नहीं हुआ है और दूसरे फेज का भी काम प्रारंभ कर दिया गया है। कुल मिलाकर अभी भी इस एकलब्य विद्यालय के पूर्ण होने में कई माह का समय लगने की बात कही जा रही है।
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