गर्मी के दस्तक के साथ ही जलसंकट गहराया, ड्राइजोन वाले इलाकों में त्राहिमाम
श्रीबंशीधर नगर में भीषण गर्मी के कारण पेयजल संकट गहरा गया है। जलस्तर गिरने से चापाकल और जलमीनार खराब हो गए हैं, जिससे लोग परेशान हैं। 60,000 से अधिक जनसंख्या वाले इस नगर में 2800 चापाकल हैं, जिनमें से...

श्रीबंशीधर नगर, प्रतिनिधि। भीषण गर्मी से लोग जहां परेशान हैं, वहीं गर्मी में पेयजल संकट ने लोगों की समस्या और बढ़ा दी है। जलस्तर काफी नीचे चले जाने के कारण अधिसंख्य चापाकल और जलमीनार जवाब देने लगे हैं। करीब 60 हजार से अधिक आबादी वाले नगर पंचायत क्षेत्र में 17 वार्ड हैं। अधिसंख्य वार्डों में पेयजल समस्या से लोग जूझ रहे हैं। सबसे अधिक परेशानी अधौरा, हेन्हो, पालहेकला और मुख्य बाजार के आधे क्षेत्रों मै है। पूरे नगर पंचायत क्षेत्र में 2800 चापानल है। गर्मी को देखते हुए खराब चापाकलों की मरम्मत युद्ध स्तर पर कराया जा रहा है। उसके बाद भी कई इलाकों में पानी की समस्या बनी हुई है।
अनुमंडल मुख्यालय होने के कारण विभिन्न प्रखंडों के लोग भी यहां पहुंचते हैं। नगर पंचायत की ओर से कहीं भी सार्वजनिक प्याऊ की भी सुविधा नहीं है। नगर प्रबंधक प्रमेय मंडिलवार ने बताया कि नगर पंचायत क्षेत्र में 2700 चापाकल चालू हालत में हैं। बाकी बचे चापाकलों को भी दुरूस्त किया जा रहा है। नगर पंचायत अंतर्गत ड्राई जोन के रूप में मशहूर अधौरा की हालत तो अधिक खराब है। यहां पर सांसद के पहल पर लगाए गए आरओ प्लांट रखरखाव के अभाव में पूरी तरह बंद पड़ा है। उससे स्थानीय लोगों की परेशानी और अधिक बढ़ गई है। स्थानीय लोग स्कूल में लगे चापाकल से पेयजल की व्यवस्था करते हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि बंद पड़े आरओ को तत्काल दुरूस्त कराया जाए तो उन्हें राहत मिलेगी। उसके अलावा जबतक आरओ प्लांट मरम्मत नहीं हो जाता तबतक टैंकर से पानी की आपूर्ति किया जाए। उधर श्रीबंशीधर नगर जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर है। पीएचइडी की रिपोर्ट के अनुसार प्रखंड अंतर्गत कुल 1076 चापाकल लगाए गए हैं। उनमें 111 में खराबी आई है। गर्मी के दस्तक के साथ ही खराब पड़े चापाकलों को बनाने का काम भी शुरू किया गया है। प्रखंड अंतर्गत 12 पंचायत और 63 राजस्व गांव हैं। प्रखंड यूपी और छत्तीसगढ़ के बॉर्डर पर है। एनएच 75 पर स्थित होने के कारण प्रखंड मुख्यालय से यूपी के अलावा राजधानी रांची सहित अन्य शहरों के लिए भी वाहनों की आवाजाही अधिक होती है। अनुमंडल मुख्यालय बांकी नदी तट पर स्थित है। उक्त नदी भी पूरी तरह सूख चुकी है। नदी का पानी सूख जाने के कारण भी जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह नदी पहले कभी सदाबह हुआ करता था। उक्त कारण नदी क्षेत्र के लिए वरदान साबित होता था। नदी का पानी सूखने के कारण नगर पंचायत के अलावा अन्य तटीय इलाकों में भी जलस्तर नीचे जाने से पानी की समस्या उत्पन्न हो रही है। स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले सालोंभर पानी नदी में होता था। उक्त कारण जलस्तर बना रहता था। समय के साथ नदी का अतिक्रमण सहित अन्य कारणों की वजह से अब पानी नहीं रहता है। नदी का अस्तित्व भी संकट में है। उसे बचाने के लिए नदी को भी संरक्षित करने की जरूरत है।
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