सगमा में 100 चापाकल खराब, पेयजल के लिए भटक रहे ग्रामीण
फोटो सगमा एक: जलमीनार बंद होने की जानकारी देते लोलकी गांव के ग्रामीण उत्तर प्रदेश-झारखंड सीमा पर अवस्थित सगमा प्रखंड अत्यंत ही पिछड़ा है। यह जिला मुख्

सगमा, प्रतिनिधि। उत्तर प्रदेश-झारखंड सीमा पर अवस्थित सगमा प्रखंड अत्यंत ही पिछड़ा है। यह जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर है। प्रखंड अंतर्गत पांच पंचायत सगमा, कटहर कला, सोनडीहा बीरबल और घघरी हैं। उक्त पंचायतों में कुल 18 राजस्व और एक बेचिरागी गांव हैं। गर्मी के दस्तक के साथ ही अधिसंख्य पंचायतों में जलसंकट शुरू हो जाता है। सगमा प्रखंड धुरकी से कटकर 2009 में अलग प्रखंड के तौर पर अस्तित्व में आया। अलग प्रखंड बनने के 16 साल बाद भी पेयजल जैसी बुनियादी समस्या अभी भी बनी हुई है। जलस्तर नीचे चले जाने से कई गांवों में लगे चापाकल बेकार हो जाते हैं।
नतीजतन लोगों को परंपरागत जलस्रोतों कुआं, चुआंड़ी का पानी पीकर प्यास बुझाने की मजबूरी होती है। प्रखंड मुख्यालय से लेकर सुदूरवर्ती गांवों तक शुद्ध पेयजल की व्यवस्था के लिए पीएचइडी व पंचायत मद की ओर से करीब 250 चापाकल लगाए गए हैं। उनमें अभी भी 100 चापाकल खराब में पड़े हैं। उसके अलावा पंचायत स्तर पर नल जल योजना के तहत घरों तक पानी पहुंचाने के लिए जलमीनार लगाए गए हैं। उनमें से भी कई जलमीनार खराब हो गए हैं। न तो चापाकल से पानी मिल रहा न ही नल जल योजना के तहत घरों तक ही पानी पहुंच रहा है।
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