गढ़वा विस: सत्येंद्रनाथ को तीसरी बार मिला मौका
गढ़वा विधानसभा सीट पर 1952 से अब तक कांग्रेस का छह बार कब्जा रहा है। पूर्व विधायक गिरिनाथ सिंह और उनके पिता गोपीनाथ सिंह ने 25 साल तक प्रतिनिधित्व किया। 2019 में झामुमो ने पहली बार जीत हासिल की और...
गढ़वा, प्रतिनिधि। गढ़वा विस सीट पर आजाद भारत के पहले विस चुनाव 1952 से लेकर अबतक छह बार कांग्रेस का कब्जा रहा। वहीं पूर्व विधायक गिरिनाथ सिंह और उनके पिता स्व गोपीनाथ सिंह का 25 साल तक प्रतिनिधित्व किया। अबतक गढ़वा विस सीट पर तीन बार भाजपा के अलावा जनता दल और राष्ट्रीय जनता दल का दो-दो बार जीत हुई। स्वतंत्र पार्टी, जनसंघ, जनता पाटी व झाविमो के प्रत्याशियों को स्थानीय मतदाताओं ने एक-एक बार ही प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया। इस सीट पर 2019 विस चुनाव में पहली बार झामुमो ने जीत दर्ज करने में सफल रही। विस क्षेत्र की जनता ने तीसरी बार सत्येंद्रनाथ तिवारी को प्रतिनिधित्व का मौका दिया है। झाविमो की टिकट पर 2009 और भाजपा से 2014 में वह चुनाव जीतने में सफल हुए थे।
आजादी के बाद पहली बार 1952 में हुए चुनाव में हुसैनाबाद सह गढ़वा को मिला एक विस सीट के लिए दो विधायक चुने गए थे। 1952 से 1957 के लिए देवचंद राम पासी व राजकिशोर सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। 1957 से 1962 तक कांग्रेस की राजेश्वरी सरोज दास विधायक रहीं। वहीं 1962 से 1967 तक स्वतंत्र पार्टी की टिकट पर रंका राजघराने से जुड़े गोपीनाथ सिंह विधायक रहे। 1967-1969 के लिए संपन्न उप चुनाव में गढ़वा के लक्ष्मी प्रसाद केशरी निर्वाचित हुए। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज की थी। 1969 से 1972 के लिए दूसरी बार जनसंघ के टिकट पर गोपीनाथ सिंह निर्वाचित हुए थे। 1972 से 1977 के लिए कांग्रेस से अवध किशोर तिवारी निर्वाचित हुए। 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के टिकट पर विनोद नारायण दीक्षित विधायक चुने गए। उसी तरह 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में युगल किशोर पांडेय विधायक चुने गए थे। 1985 और 1990 के चुनाव में भाजपा से गोपीनाथ सिंह चुनाव जीते। पिता गोपीनाथ सिंह की मौत के बाद 1993 हुए उपचुनाव में जनता दल प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की। उसके बाद 1995 में भी वह जनतादल के टिकट पर चुनाव जीते। वहीं 2000 व 2005 के चुनाव में राजद प्रत्याशी के तौर पर गिरिनाथ चुनाव जीतने में सफल हुए। वर्ष 2009 में झाविमो की टिकट पर चुनाव लड़ रहे सत्येंद्रनाथ तिवारी निर्वाचित हुए। उसके बाद भाजपा की टिकट पर वह 2014 का चुनाव जीतने में भी सफल हुए। वह 2019 के चुनाव में झामुमो प्रत्याशी मिथिलेश कुमार ठाकुर से 23 हजार 522 मतों से हार गए। झामुमो प्रत्याशी को 106681 और निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी को 83159 मत मिले थे।
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