बेहरा बांक गांव में दत्ता वंशज की काली पूजा आज
मसलिया प्रखंड के बेहरा बांक गांव में दत्ता परिवार द्वारा चैती काली पूजा मनाई गई। यह पूजा लगभग 150 वर्ष पुरानी है और पारंपरिक रूप से वैष्णवी मत से की जाती है। पूजा के दिन परिवार के सभी सदस्य एकत्र होते...

मसलिया। मसलिया प्रखंड क्षेत्र के सुग्गा पहाड़ी पंचायत अंतर्गत बेहरा बांक गांव में सुवर्णवाणिक समाज के दत्ता परिवार का चैती काली पूजा मंगलवार को है। यह चैती काली पूजा करीब एक सौ पचास वर्ष पुराना है। यह पूजा बेहराबांक के दत्त परिवार के पूर्वज हाराधन दत्त द्वारा अपने परिवार की मंगल कामना के लिए प्रारंभ किया गया था।इसके बाद हाराधन दत्त के पुत्र युगल किशोर दत्त ने भी अपने बंश के परंपरा को कायम रखा। तब से अबतक उनके बंशज द्वारा चैती काली पूजा पूरे विधि विधान के साथ बड़ी धूमधाम से करते आ रहे है। यह चैती काली पूजा वैष्णवी मत से किया जाता है। बेहरा बांक एक आदिवासी बहुल गांव है। एक दिन ऐसा भी था जब दत्ता परिवार के सभी लोग यहा रहते थे ।उस दौरान आस पास के कई गांव में इन परिवार का डंका चलता था।दत्ता परिवार का परंपरा है कि पुश्तैनी घर को छोड़कर जो भी परिवार नौकरी या व्यवसाय या बच्चों के शिक्षा हेतु बाहर स्थाई रूप से चले गए है। वह भी इस चैती काली पूजा में निश्चित रूप से अपने परिवार के साथ पहुंच कर चैती काली पूजा में शामिल होते है।यह चैती काली पूजा दत्ता परिवार के अपना पूजा होने के बावजूद आदिवासी समुदाय के लोग भी इस पूजा में शामिल होते है। इस पूजा के दिन दत्ता परिवार के सभी बंशज प्रत्येक वर्ष एक साथ बैठकर भोजन करते है। पूजा के मौके पर सभी का एक दिन मेल मिलाप होता है। जिससे परिवार के सदस्य जितने दूरी पर भी रहे अपनत्व बना रहता है।सभी एक दूसरे के सुख दुख में शामिल होते है।
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