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नूनबिल बूढ़ी थान में नमक-बतासा का भोग

मसलिया के दलाही में नूनबिल माता मंदिर में नमक और बतासा का भोग लगता है। भक्त मानते हैं कि माता नूनबिल बूढ़ी उनकी इच्छाएं पूरी करती हैं। मकर संक्रांति से आठ दिन तक श्रद्धालु गर्म जलकुंड में स्नान कर...

Newswrap हिन्दुस्तान, दुमकाFri, 17 Jan 2025 04:08 PM
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मसलिया। मसलिया के दलाही में नूनबिल माता मंदिर में नमक एवं बतासा का भोग लगता है। लोगों में आस्था है कि माता नूनबिल बूढ़ी भक्तों की मुंहमांगी मुराद पूरी करती हैं। माता नून बिल बूढ़ी को नामक-बतासा का भोग लगने के कारण मंदिर परिसर में नमक, बतासा एवं धूपबत्ती का दर्जनों दुकान लगती हैं। मकर संक्रांति के दिन से आठ दिन तक झारखंड के दुमका, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, पाकुड़ तथा पश्चिम बंगाल के राजनगर, सीउड़ी, बोलपुर, सैंथिया, आसनसोल आदि जगह से सैलानी पहुंच कर सबसे पहले मेला परिसर में नूनबिल नदी में स्थित गर्म जलकुंड में स्नान कर या शुद्ध होकर माता नूनबिल बूढ़ी को नामक बतासा का भोग चढ़ाते हैं। मान्यता है कि शुद्ध मन से माता के दरबार में जो मन्नतें मांगता है। वह पूरा होता है। साथ ही गर्म जलकुंड में स्नान करने से पुराने से पुराने चर्म रोग ठीक हो जाता है। निसंतान दंपति नूनबिल माता के दरबार में पहुंच कर संतान प्राप्ति के लिए मुराद मांगते हैं।

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