Hindi Newsझारखंड न्यूज़दुमकाDivine Narration of Shiva Mahapurana Dr Vinod Tripathi Explains the Wedding of Shiva and Sati

शिव की अराधना से योग्य जीवनसाथी मिलता है : कथाव्यास

बाबा बासुकीनाथ धाम में आयोजित 9 दिवसीय शिवमहापुराण के चौथे दिन, कथाव्यास डॉ विनोद त्रिपाठी ने सती प्रसंग, माता पार्वती का जन्म और शिव-पार्वती विवाह का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान शिव ही सृष्टि...

Newswrap हिन्दुस्तान, दुमकाFri, 22 Nov 2024 01:09 AM
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जरमुंडी प्रतिनिधि। बाबा बासुकीनाथ धाम की पावन धरा में आयोजित 9दिवसीय शिवमहापुराण के चौथे दिन कथाव्यास डॉ विनोद त्रिपाठी ने रूद्रसंहिता के सती (द्वितीय) खंड का वर्णन करते हुए सती प्रसंग,माता पार्वती का जन्म,शिवपार्वती विवाह का प्रसंग सुनाया। कथा व्यास ने बताया कि शिव ही सबके कर्ता (स्रष्टा ), भर्ता (पालक) और हर्ता (संहारक) हैं। वे ही सर्वव्यापी परमात्मा और परमेश्वर हैं। निर्गुण परब्रह्मस्वरूप भगवान शिव ने स्वेच्छा से सगुण होकर सृष्टि का विस्तार किया। उन्हीं से श्रीहरि और सृष्टिकर्ता ब्रह्मा उत्पन्न हुए। प्रजापति दक्ष की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने पुत्री रूप में अवतीर्ण होने का वरदान दिया। इधर मानसिक सृष्टि का कार्य आगे नहीं बढ़ता देख ब्रह्माजी की आज्ञा से प्रजापति दक्ष द्वारा मैथुनी सृष्टि का आरंभ किया गया। प्रजापति पंचजन की पुत्री विरणी से दक्ष प्रजापति ने विवाह किया और उनकी पत्नी विरणी के गर्भ से 10,000 पुत्र उत्पन्न हुए जो हर्यस्व कहलाए। दक्ष ने 60 कन्याओं को जन्म दिया। राजा दक्ष ने 10 कन्याएं विधि पूर्वक धर्म को ब्याह दी। 13 कन्याओं को कश्यप मुनि को दे दी और 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा के साथ किया। सती ने भगवान शिव को पति रूप में पानी के लिए घर तपस्या की। भूतभावन भगवान शिव और सती के विवाह में आए अड़चनों को ब्रह्मा जी ने दक्ष को मनाकर दूर किया। नियत समय पर धूमधाम से भगवान शिव और माता सती का विवाह हुआ। कथावाचक डॉक्टर विनोद त्रिपाठी ने श्रोताओं को बताया कि स्वयंभूव मन्वंतर में भगवान शंकर और सती का विवाह हुआ। विवाह कल में यज्ञ में अथवा किसी भी शुभ कार्य के आरंभ में भगवान शंकर की पूजा करके शांत चित से जो शिव की अराधना करता है, उसका सारा कर्म तथा वैवाहिक आयोजन बिना किसी विघ्न बाधा के पूर्ण होता है। जीवन में अपना कल्याण चाहने वाले तथा अभीष्ट की इच्छा करने वाले को कृष्ण चतुर्दशी का मासिक शिवरात्रि व्रत अवश्य करना चाहिए।

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