संताली भाषा के लिए लैटिन लिपि प्रयोग करने का निर्णय
संताली लैग्वेज कौंसिल ऑफ इंडिया के तत्वाधान में ऑल इंडिया संताली कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में बिहार विधान सभा के विधायक स्वीटी सीमा हेम्ब्रम, फादर सेवास्टियन...
संताली लैग्वेज कौंसिल ऑफ इंडिया के तत्वाधान में ऑल इंडिया संताली कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में बिहार विधान सभा के विधायक स्वीटी सीमा हेम्ब्रम, फादर सेवास्टियन टुडू, फादर श्याम किशोर टुडू शामिल हुए। संताली लैंग्वेज कौंसिल के संयोजक इनोसेंट सोरेन ने संताली भाषा और साहित्य में लैटिन लिपि के योगदान को बताया। कार्यक्रम को मनोज सुन्दर हेम्ब्रम, फ्रासिंस जेवियर सोरेन, डा जी मरांडी, निर्मल बीके सोरेन, अ्द्रिरयस टुडू, महेन्द्र बेसरा, मार्शल टुडू ने संबोधित किया। कार्यक्रम का थीम संताली भाषा की जय-जयकार हो। झारखंड, बंगाल, असम, त्रिपुरा, मेघालय एवं उड़ीसा के प्रतिनिधियो ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। संताली लिखने के लिये लैटिन या रोमन लिपि का प्रयोग सन 1846 से हो रहा है जिसका 170 वर्षों का इतिहास है। कान्फ्रेंस में तीन प्रस्ताव लिये गया कि पूरे भारत में संताली के पढ़ाई के लिये एकीकृत सिलेबस हो, एकीकृत सिलेबस के लिये सिलेबस कमेटी का गठन किया गया।
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