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बाबा बासुकीनाथ और माता पार्वती को लगेगा लावा-कांसा का उबटन, महाशिवरात्रि-व्रत का संयत आज

लावा- कांसा की रस्म में आज विवाह- गीतों से गूंजेगा फौजदारी बाबा का दरबार लावा- कांसा की रस्म में आज विवाह- गीतों से गूंजेगा फौजदारी बाबा का...

Newswrap हिन्दुस्तान, दुमकाWed, 10 March 2021 03:51 AM
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बाबा बासुकीनाथ और माता पार्वती को लगेगा उबटन

जरमुंडी। बाबा बासुकीनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि के पारंपरिक शिव विवाह महोत्सव की शुरुआत बुधवार को लावा-कांसा के रस्म से होगी। त्रिदिवसीय महाशिवरात्रि महोत्सव को लेकर बुधवार को नियम निष्ठा के साथ मंदिर के विधकरी शौखी कुंवर और उनकी पत्नी द्वारा परंपरा के अनुसार लावा-कांसा भूंजकर शिवविवाह के लिए लावा-कांसा भूंजकर उबटन तैयार किया जायेगा। महाशिवरात्रि के 1 दिन पूर्व भोलेनाथ को हल्दी व जड़ीबूटियों से युक्त लावा-कांसा का यह उबटन चढ़ाने की परंपरा है। पारंपरिक रूप से लावा कांसा के रस्म के बाद ही महाशिवरात्रि के कार्यक्रमों की शुरुआत होती है। पूर्व के वर्षों तक लावा कांसा भुजने की परंपरा हंडवा एस्टेट की ओर से कचहरी में विधकरी द्वारा संपन्न कराई जाती थी। मंदिर के सरकार द्वारा अधिग्रहित किए जाने के बाद यह रस्म मंदिर प्रांगण में किया जाने लगा। इधर, पंडा समाज के वाखरी टोला में बासु के शिव मंदिर में लावा कांसा भुजने की परंपरा चली आ रही है। पण्डा परिवार की महिलाओं द्वारा लावा कांसा भुजकर दोपहर कालीन बाबा बासुकीनाथ की विश्राम पूजा के दौरान भोलेनाथ को यह उबटन लगाया जाता है। इस दौरान श्रद्धालु महिलाओं द्वारा शिव विवाह के मांगलिक गीत भी गाए जाते हैं। महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले श्रद्धालु महाशिवरात्रि आज से नियम निष्ठा और संयम धारण कर व्रत के लिए तैयारी करेंगे। शिवरात्रि का व्रत करनेवाले भोलेनाथ के भक्त आज बुधवार को आहार-विहार में संयम रखकर खुद को शिवरात्रि व्रत हेतु तैयार करेंगे। शिवरात्रि व्रत के पूर्व संयत के दिन आज बाबा बासुकीनाथ व माता पार्वती की अधिवास पूजा संपन्न होगी। इस अवसर पर देर शाम बाबा बासुकीनाथ मंदिर में धरनार्थियों व शिवभक्तों के बीच मंदिर न्यास समिति द्वारा सदाव्रत वितरित किया जाएगा।

विवाह के बाद ही माता पार्वती को सिंदूर चढ़ा पाएंगी श्रद्धालु महिलाएं

शिवरात्रि के पूर्व माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाकर पूजा करना वर्जित हो गया है। श्रद्धालु महिलाएं पार्वती मंदिर में पूजा अर्चना करने के दौरान माता पार्वती को सिंदूर नहीं लगाएंगी। परंपरा के अनुसार महाशिवरात्रि में शिव विवाह संपन्न होने पर ही माता पार्वती को श्रद्धालु महिलाओं द्वारा सिंदूर लगाया जाता है। महाशिवरात्रि में शिव विवाह के दौरान बाबा बासुकीनाथ के प्रतीकात्मक त्रिशूल द्वारा मैया पार्वती की मांग में सिंदूर भरी जाती है। सिंदूरदान के रस्म के बाद ही माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है।

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