पापा हमको तो सरकारी नौकरी वाला बोर चाही..
धनबाद में बीबीएमकेयू के कुलपति प्रो. रामकुमार सिंह ने विश्व हिन्दी दिवस पर कहा कि हिन्दी एक पुल के रूप में कार्य करती है। इस अवसर पर कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक...
धनबाद, मुख्य संवाददाता बीबीएमकेयू कुलपति प्रो. रामकुमार सिंह ने कहा कि वही भाषा जीवित रहती है, जिसका प्रयोग जनता सबसे ज्यादा करती है। हिन्दी की हजारों सालों की गौरवशाली यात्रा का इतिहास है। विश्व हिन्दी दिवस मनाया जाना यह दर्शाता है कि हिन्दी अब केवल भारतीय भाषा के रूप में ही नहीं बल्कि एक सेतु के रूप में विभिन्न देशों की साहित्य व संस्कृतियों को भी जोड़ रही है। कुलपति शुक्रवार को बीबीएमकेयू के स्नातकोतर हिन्दी विभाग में आयोजित विश्व हिन्दी दिवस सह कवि सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। पीजी हिन्दी दिवस व नवल विहान साहित्य कला संस्कृति मंच के संयुक्त तत्वावधान में यह आयोजन हुआ।
इस अवसर पर प्रथम सेमेस्टर की छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया। छात्र आदिल व मेघा कुमारी ने अपनी स्वरचित कविता पाठ कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। काव्य सम्मेलन में 15 कवियों ने कविता पाठ किया। डॉ. मुकुंद रविदास ने मोटा न पातर चाही, महल न हवेली चाही, मुंशी न ठेकेदार चाही, किसान न जमींदार चाही, पापा हमको तो सरकारी नौकरी वाला बोर (दूल्हा) चाही.. कविता पाठ कर पाठकों के बीच खूब तालियां बटोरी। सुदेश चुग ने विश्व पटल पर गूंजे इसकी आवाज, हिन्दी का परचम करे जग में आगाज, विश्वजीत किरण ने हंसते रहिए जिंदगी आपकी हंसेगी, नीरजा पप्पी ने मैं प्रेम बांटती हूं, अब चाह नहीं किसी और की है, साधना सूद ने ये खुदा है ईश्वर, वाहे गुरु तुझसे है अरदास, निशा गुप्ता नयन ने अपने मां बाप को मैं खुद मानती, मीनाक्षी राय प्रजिता ने रूठी है हिन्दी, भारती कुमारी मयूरेश जामताड़ा ने यह भारत देश निराला है, शालिनी झा ने शब्द शब्द तुम प्रीत निभाना, मनोज बरनवाल अंजान ने बेरोजगारी और आतंकवाद पर व्यंग्यात्मक कविता पाठ किया। मौके पर हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युंजय कुमार सिंह, डॉ. रीता सिंह, डॉ. मुकुंद रविदास, मनोज कुमार वर्णवाल अध्यक्ष नवल विहान, बैजंती, शीला, आरती आदि थे।
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