निगम की अधूरी योजनाएं शुरू हो तो मजदूरों को घर में मिले काम
राज्य सरकार द्वारा बाहर से लौटे मजदूरों को रोजगार देने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की जा रही...
राज्य सरकार द्वारा बाहर से लौटे मजदूरों को रोजगार देने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की जा रही है। ग्रामीण इलाके के लिए तो मनरेगा से लेकर सड़क निर्माण का काम शुरू किया जा रहा है लेकिन शहरी इलाके को लेकर कोई योजना शुरू नहीं की जा रही। पुरानी योजनाएं भी बंद पड़ी हुई है। नगर निगम की बंद पड़ी लगभग एक हजार करोड़ की योजनाएं अगर शुरू हो जाए तो मजदूरों को अपने घर में ही काम मिल जाए।
नई सरकार के गठन के बाद से ही ट्रेजरी से निकासी पर रोक लगी हुई है। वेतन मद को छोड़कर किसी मद में निकासी नहीं हो रही है। नगर निगम में चल रही योजनाओं पर इसका असर पड़ा है। कुछ पुरानी योजनाएं बीच में ही बंद हो गई है तो कुछ योजनाओं का काम राशि के अभाव में शुरू नहीं हो पा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा निगम को दी गई सूची के अनुसार दूसरे राज्यों से शहरी क्षेत्र में 826 मजदूर श्रमिक स्पेशल ट्रेन से लौटे हैं। इन मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए सर्वे का काम भी पूरा हो चुका। लेकिन इन्हें रोजगार कहां मिलेगा, इसपर प्रशासन की कोई तैयारी नहीं है।
18 जून के बाद बोर्ड भंग होने से फिर लटकेगी योजनाएं
18 जून को नगर नगम बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। ऐसे में कोई नई योजनाओं के शुरू होने पर संशय है। जो योजनाएं चल रहीं है, उन्हें शुरू करने पर ही रोजगार मिल सकता था। लेकिन वह भी सरकार के आदेश के इंतजार में लटकी है।
कौन-कौन सी योजनाएं है अटकी
- नगर निगम कार्यालय का निर्माण :- 25 करोड़
- 2.5 करोड़ खर्च कर 16 जगहों पर लगनेवाले ट्रैफिक लाइट योजना
- 25 करोड़ की लागत से पुराना बाजार झरिया पुल से धनबाद रेलवे स्टेशन के दक्षिणी छोर तक प्रस्तावित सड़क निर्माण
- मैथन से आने वाली पाइपलाइन के लिए 500 करोड़ की शहरी जलापूर्ति योजना
- 4.97 करोड़ की लागत से 21 चौक-चौराहों का सौंदर्यीकरण
- पुराना स्टेशन में रेलवे के पुराने भवन में 73 लाख रुपए से ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण
- 14वें वित्त आयोग से 50 करोड़ की सड़क-नाली और स्ट्रीट लाइट का अधिष्ठापन
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