तेतुलमुड़ी डिनोबिली बस्ती के ग्रामीणों के साथ नहीं हुई त्रिपक्षीय वार्ता
सिजुआ के मोदीडीह कोलियरी में तेतुलमुड़ी परियोजना के विस्तारीकरण में रैयती जमीन की बाधा बन गई है। सांसद ढुलू महतो की अनुपस्थिति में त्रिपक्षीय बैठक स्थगित कर दी गई है। ग्रामीणों ने कहा है कि जब तक...
सिजुआ। प्रतिनिधि सिजुआ क्षेत्र संख्या पांच के मोदीडीह कोलियरी अंतर्गत तेतुलमुड़ी परियोजना की पैच विस्तारीकरण में तेतुलमुड़ी डिनोबली बस्ती की रैयती जमीन बाधा बनी हुई है। जमीन उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण करीब पांच महीने से हिलटॉप नामक आउट शौशिंग की कार्य वाधित हो गयी है। बस्ती के रैयतो का विस्थापन, पुनर्वास व मुआवजा को लेकर गुरूवार को होने वाली त्रिपक्षीय वार्ता स्थगित कर दिया गया है। मोदीडीह कोलियरी प्रबंधन ने ग्रामीणों को पत्र देकर बैठक की तिथि तय किया था। लेकिन रैयतो ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि जब तक धनबाद सांसद ढुलू महतो नहीं रहेंगे तब तक बैठक में ग्रामीण भाग नहीं लेंगे। संसद सत्र चलने के कारण सांसद ढुलू महतो दिल्ली में हैं। सांसद ने भी प्रबंधन को स्पष्ट निर्देश दिया है कि उनके उपस्थिति में ही बैठक होगी। सांसद महतो के निर्देश के बाद कोलियरी प्रबंधन की ओर से आयोजित बैठक को स्थगित कर दिया गया है। बताया जाता है कि तेतुलमुड़ी जमीन अधिग्रहण को लेकर त्रिपक्षीय बैठक होना था जिसमे बीसीसीएल प्रबंधन, पुटकी सीओ व रैयतो को भाग लेना था। मोदीडीह कोलियरी के एजेंट ने ग्रामीणों को पत्र देकर सिजुआ क्षेत्रीय कार्यालय में गुरूवार को जीएम व पुटकी सीओ की उपस्थिति में बैठक निर्धारित किया था। रैयतो को पत्र मिलते ही वे तत्काल एजेंट से मिलकर इस बैठक पर असहमति व्यक्त की। कहा कि बगैर सांसद के बैठक नहीं हो सकती है। इस दौरान सांसद ढुलू महतो से दूरभाष पर वार्ता हुई जिसमे उन्होने स्पष्ट कहा कि अभी बैठक नही होगी। बैठक में वे खुद उपस्थित रहेंगे। बताया जाता है कि तेतुलमुड़ी डिनोबली बस्ती के रैयतो व ग्रामीणों ने उपरोक्त मांग को लेकर प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इस वजह से प्रबंधन की सीएमपीडीआई सर्वे पूरी तरह बाधित है। सर्वे नही होने से पैच का विस्तारीकरण भी नही पा रही है। विगत पांच महीने से पैच का कार्य रुका हुआ है। रैयतो का मांग है कि जब तक सम्मानजनक वार्ता नही हो जाती तब तक सर्वे नही होने दिया जाएगा। रैयत नेता विष्णु महतो ने कहा कि प्रबंधन को पूर्व में साफ कह दिया गया है कि सांसद के मौजूदगी में ही बैठक होगी। फिर बिना सहमति बनाए बैठक का तिथि निर्धारण करने का कोई औचित्य ही नही है। जब तक वार्ता नही हो जाती तब तक सर्वे भी नही होने दिया जाएगा।
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