कभी गांव वाले उड़ाते थे मजाक, आज घर-घर में बेटियां बनीं फुटबॉलर
बंगाल से सटे निरसा का इलाका पूरी तरह से बंगाल की संस्कृति और भाषा का प्रभाव वाला है। निरसा के पोद्दारडीह गांव और आसपास के गांवों में घर-घर से निकल...
धनबाद गंगेश गुंजन
बंगाल से सटे निरसा का इलाका पूरी तरह से बंगाल की संस्कृति और भाषा का प्रभाव वाला है। निरसा के पोद्दारडीह गांव और आसपास के गांवों में घर-घर से निकल कर लड़कियां फुटबॉल खेल रहीं हैं। गांव में रहनेवाले लोग शुरुआत में इसका विरोध करते थे। उनका कहना था कि फुटबॉल खेला में देर न आच्छे, ऐई टा शोभा देय न, फुटबॉल खेला छेले देर आच्छे (फुटबॉल का खेल लड़कियों का नहीं है। यह उन्हें शोभा नहीं देता। यह खेल लड़कों का है।)
ग्रामीणों के विरोध के बावजूद लड़कियों ने हिम्मत नहीं हारी। अपने माता-पिता को मनाया और खेलने के लिए मैदान पहुंच गईं। लड़कियों के इस काम में मददगार बनीं फुटबॉल कोच जयश्री गोराईं। पोद्दारडीह स्थित राज ग्राउंड में आज 60 से अधिक लड़कियां फुटबॉल खेल रहीं हैं। सप्ताह में तीन दिन लड़कियां यहां आकर अभ्यास करती हैं।
लड़की के फुटबॉल खेलने का गांववाले करते थे विरोध
कोच जयश्री गोराईं ने बताया कि पांड्रा गांव की एक लड़की के फुटबॉल खेलने पर परिवार वालों को समाज का विरोध झेलना पड़ा। वह खुद उसे लेने के लिए घर तक जाती थीं, लेकिन अब धीरे-धीरे माहौल बदला है और इस गांव से भी बहुत लड़कियां खेलने के लिए आतीं हैं। राह सोसाइटी की ओर से लड़कियों का पूरा खर्च उठाया जाता है।
कैंप की दो लड़कियों का चयन राज्य फुटबॉल अकादमी में
इस कैंप की दो लड़कियों का चयन हजारीबाग स्थित फुटबॉल अकादमी के लिए हुआ है। दोनों ही लड़कियां पोद्दारडीह गांव की रहने वाली है। रीमा बाउरी और अनामिका कुमारी का चयन इस कैंप के लिए किया गया। सरकार द्वारा संचालित इस कैंप में रहने-खाने के साथ-साथ पढ़ने की भी सुविधा है। कोच जयश्री ने बताया कि दोनों लड़कियों के चयन के बाद कैंप की हर लड़कियां यहां चयनित होने के लिए मेहनत कर रहीं हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।