Hindi Newsझारखंड न्यूज़धनबादSama-Chakeva Festival Celebrating Unbreakable Bond of Siblings in Dhanbad

भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है सामा-चकेवा पर्व

धनबाद में भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक सामा-चकेवा पर्व की तैयारियां जोरों पर हैं। यह पर्व 15 नवंबर तक चलेगा, जिसमें मिथिलावासियों के घरों में सामा-चकेवा के गीत गूंज रहे हैं। कार्यक्रम में लोक गीत...

Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादWed, 13 Nov 2024 01:59 AM
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धनबाद, मुख्य संवाददाता भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक सामा-चकेवा की तैयारियां जोरों पर है। भाई-बहन के प्रेम और ननद-भाभी की नोकझोंक के साथ पति-पत्नी के मधुर संबंध की झलक इस पर्व में दिखती है। छठ पूजा के संपन्न होते ही कोयलांचल में मिथिलांचलवासियों के घरों में सामा-चकेवा के गीत गूंज रहे हैं। मिथिला का लोक पर्व सामा-चकेवा कार्तिक शुक्ल पंचमी से शुरू होकर पूर्णिमा यानी 15 नवंबर तक चलेगा।

मिथिलावासियों के घरों में युवतियां और नवविवाहिताएं सामा-चकेवा खेल रही हैं। पर्व में शामिल होने के लिए कई विवाहिता अपने ससुराल से मायके आई हैं। घरों में विभिन्न पात्रों की मूर्तियां बनाकर उसकी की पूजा की जा रही है। भाई सामा, बहन चकेवा के अलावा चारूदत्त, चुगला, सतभइया, वन-तीतर, झांझी, कुत्ता, वृंदावन और बांसुरी बजाते भगवान कृष्ण की मूर्ति बन जाती है। कृष्ण के चारों ओर अन्य मूर्तियों को रखकर गीत-नाद किया जा रहा है। बुराई का प्रतीक चुगला को जलाकर इस पर्व का समापन होगा। तेलीपाड़ा लॉ कॉलेज के बगल में स्थित विद्यापति भवन में विद्यापति समिति धनबाद की ओर से 15 नवंबर को सामा चकेवा का सामूहिक आयोजन किया जा रहा है। समिति के अध्यक्ष शिवकांत मिश्रा ने बताया कि कार्यक्रम में लोक गीत व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन होंगे। कार्यक्रम के दौरान बहनें यहां सामूहिक रूप से गीतनाद के बीच चुगला जलाएंगी।

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कृष्ण के पुत्र-पुत्री के प्रेम को दर्शाता है सामा-चकेवा

सामा चकेवा पर्व भगवान कृष्ण की पुत्री श्यामा एवं पुत्र शाम्भ की कहानी पर आधारित है। पौराणिक कथा के अनुसार श्यामा जब मुनि चारूदत्त की सेवा में उनकी कुटिया जाती थीं तो उनके मंत्री ने कृष्ण को इसकी चुगली कर दी थी, जिससे नाराज होकर कृष्ण ने अपनी पुत्री को शाप देकर पक्षी बना दिया था। इसके बाद मुनि चारूदत्त ने भी भगवान महादेव को प्रसन्न कर पक्षी बनने का वर मांग लिया था। बहन-बहनोई को ढूढ़ते हुए भाई शाम्भ मिथिला पहुंचे थे और मिथिला की महिलाओं को सामा चकेवा खेलने के लिए प्रेरित किया था। उसी दिन से मिथिला में सामा-चकेवा मनाया जा रहा है। बाद में शाम्भ ने तपस्या कर भगवान कृष्ण को प्रसन्न किया था और बहन-बहनोई को वापस मानव रूप दिलवाया था।

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