रेलवे अस्पताल में कोरोना को मात देने का रिहर्सल
रेलवे अस्पताल में कोरोना को मात देने के लिए डॉक्टर और अस्पतालकर्मी तैयार हैं। सोमवार को अस्पतालकर्मियों को प्रोटेक्टर किट उपलब्ध कराया गया। कर्मचारी और डॉक्टर किट पहन कर रोगियों का इलाज कर रहे...
रेलवे अस्पताल में कोरोना को मात देने के लिए डॉक्टर और अस्पतालकर्मी तैयार हैं। सोमवार को अस्पतालकर्मियों को प्रोटेक्टर किट उपलब्ध कराया गया। कर्मचारी और डॉक्टर किट पहन कर रोगियों का इलाज कर रहे हैं। रेलवे अस्पताल में 17 बेड का आइसोलेशन वार्ड भी बनाया गया है।
रेलवे अस्पताल को रेलकर्मियों के साथ-साथ रेल यात्रियों को कोरोना बचाने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। अस्पताल की टीम रेलवे के दफ्तरों में घूम-घूम कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। इधर धनबाद स्टेशन और रेलवे यार्ड में लगातार ट्रेनों की बोगियों, वेटिंग हॉल और रिटायरिंग रूम की साफ-सफाई का काम जारी है। ट्रेनों में सामान्य तौर पर कंबल की सेवा बंद कर दी गई है लेकिन सोमवार से एसी फर्स्ट में यात्रा करनेवालों को सेनेटाइज कवर वाले कंबल देने की व्यवस्था शुरू की गई।
रनिंग कर्मियों की बायोमीट्रिक्स से हाजिरी
रेलवे के सभी विभागों में जहां बायोमीट्रिक से हाजिरी बंद है, वहीं रेलवे के लोको पायलट, असिस्टेंट लोको पायलट और गार्ड को अभी भी क्रू लॉबियों में बायोमीट्रिक्स हाजिरी बन रही है। इसी तरह उन्हें ब्रेद एनालाइजर की जांच से भी गुजरना पड़ रहा है। चालकों और गार्ड का कहना है कि कोरोना का खतरा सबसे अधिक उन्हें ही है। वे हर दिन सैकड़ों किलोमीटर ट्रेनों में सफर कर रहे हैं। ऐसे में उनके साइन ऑन और साइन ऑफ की व्यवस्था भी मैनुअल तरीके से होनी चाहिए।
कोरोना के खतरे से बेफिक्र है भूली जेटीसी
एक तरफ कोरोना से जंग में रेलवे ने मुहिम छेड़ रखी है, वहीं भूली में स्थित रेलवे का जोनल ट्रेनिंग सेंटर बेखौफ अपने ढर्रे पर चल रहा है। रेलवे में काम करने वाले वाले तीन-तीन कर्मचारी एक टेबल पर बैठ कर ट्रेन चलाने की बारीकियां सीख रहे हैं। नए ट्रेनी भी लगातार ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षण के लिए पहुंच रहे हैं। ट्रेनिंग स्कूल के शौचालय में पानी तक नहीं है। और तो और पीने के लिए आरओ वाटर तक मुहैया नहीं कराया जा रहा है।
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