वाच एंड वार्ड पंपू तालाब में मात्र 10 व्रतियों ने दिया अर्घ्य
कोरोना ने इस बार चैती छठ के रौनक को कम कर दिया। वाच एंड वार्ड लोको टैंक में जहां हर वर्ष एक सौ से अधिक व्रतियां चैती छठ में अर्घ्य देने पहुंचती थीं, इस बार सिर्फ 10 व्रतियां ही...
कोरोना ने इस बार चैती छठ के रौनक को कम कर दिया। वाच एंड वार्ड लोको टैंक में जहां हर वर्ष एक सौ से अधिक व्रतियां चैती छठ में अर्घ्य देने पहुंचती थीं, इस बार सिर्फ 10 व्रतियां ही पहुंचीं।
लॉक डाउन के कारण दोपहर दो बजे के बाद पंपू तालाब की सड़क हर दिन वीरान हो जाती थी, लेकिन सोमवार को छठ महापर्व के पहले अर्घ्य को देखते हुए शाम करीब पौने पांच बजे से इस सड़क पर चहल-पहल शुरू हो गई थी। सबसे पहले दो परिवार के लोगों यहां दौरा लेकर पहुंचे। डीएस कॉलोनी से पहुंचे इन दोनों परिवार को मिलाकर कुल 13 लोग घाट पर इकट्ठा हुए। दोनों परिवारों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए 10 मीटर की दूरी पर दौरा रख कर अर्घ्य की तैयारियां शुरू कीं। धीरे-धीरे पंपू तालाब के पूर्वी घाट छोर पर चार और व्रतियां पहुंचीं। हर व्रती के साथ छह से सात लोग थे। पूछने पर लोगों ने बताया कि परिवार और करीबी रिश्तेदार को छोड़ पड़ोस के लोग इस बार छठ घाट पर साथ नहीं आए हैं। तालाब के दक्षिणी छोर पर भी चार परिवार के लोग भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने के लिए आए। बता दें कि अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए वाच एंड वार्ड पंपू तालाब में हर वर्ष सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटती थी। कोरोना के कारण इस बार का नजारा पूरी तरह से बदला-बदला नजर आया। न तो लाउडस्पीकर पर छठ की पारंपरिक गीत बज रहे थे और न ही किसी भी संस्था या व्यक्ति ने यहां साफ-सफाई की व्यवस्था की थी। छठ घाट तक पहुंचनेवाले आम लोग भी घरों में दुबके रहे। वहीं कई व्रतियों ने अपने घर के छत और आंगन में ही अर्घ्य डालकर छठ मइया से इस वैश्विक महामारी से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की।
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