हड़ताल पर गए झमाडाकर्मी, पानी के लिए हाहाकार
42 माह का बकाया वेतन भुगतान सहित अन्य मांगों को लेकर झमाडाकर्मी बुधवार की रात 12 बजे से हड़ताल पर चले गए। इसके कारण गुरुवार को कहीं भी जलापूर्ति नहीं...
42 माह का बकाया वेतन भुगतान सहित अन्य मांगों को लेकर झमाडाकर्मी बुधवार की रात 12 बजे से हड़ताल पर चले गए। इसके कारण गुरुवार को कहीं भी जलापूर्ति नहीं हुई। झरिया, पुटकी, तोपचांची, कतरास सहित 12 लाख की आबादी को पानी नहीं मिल पाया। शुक्रवार को भी जलापूर्ति की संभावना नहीं है। झमाडा प्रबंधन द्वारा कर्मियों को वार्ता के लिए धनबाद मुख्यालय बुलाया गया था। शाम पांच बजे होनेवाली वार्ता में झामुमो का दामन थामने वाले यूनियन नेता और कर्मचारी नहीं पहुंचे। जबकि एमडी दिलीप कुमार, टीएम इंद्रेश शुक्ला काफी देर शाम तक इंतजार करते रह गए। सूचना आयी कि शुक्रवार की सुबह 11.30 बजे वार्ता होगी।
इधर, हड़ताल की खबर पाकर गुरुवार को जामाडोबा जलसंयंत्र में तकनीकी सदस्य इंद्रेश शुक्ला पहुंचे थे और कर्मियों को समझाने का प्रयास किया। लेकन कर्मी अपनी मांगों पर अड़े हुए रहे। बाद में वे वार्ता के लिए कर्मियों को मुख्यालय आमंत्रित कर यहां से चले गये। तकनीकी सदस्य के पहुंचने पर कर्मियों ने नारेबाजी भी की। यूनियन के प्रतिनिधी सह कर्मचारी असलम खान ने कहा है कि टीएम ने फोन पर जेल भेजने की धमकी दी थी, फिर क्यों आये हैं। जोड़ापोखर पुलिस को खबर की गई थी। कहा कि लॉकडाउन में ईमानदारी से सभी कर्मियों ने बेहतर काम किया। लेकिन एक रुपये का भी भुगतान नहीं किया गया। जबकि 42 माह का बकाया चल रहा है। प्रबंधन ने यह भी पूछना उचित नहीं समझा कि आखिर कर्मियों का परिवार कैसे चल रहा है। कर्मी भुखमरी के कगार पर हैं। जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी, तब तक जलापूर्ति ठप रहेगी।
आपदा के समय जलापूर्ति बाधित करना सरकार के निर्देशों का उल्लंघन है। ऐसा करनेवालों पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
उमाशंकर सिंह, डीसी
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