झरिया में प्रशासन के अलाव से संतुष्ट नहीं हैं लोग
झरिया में शीतलहर बढ़ रही है और तापमान गिर रहा है। पिछले कुछ दिनों से अलाव जलाने की व्यवस्था की गई है, लेकिन लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि आग जल्दी बुझ जाती है। पहले बीसीसीएल द्वारा कोयला दिया जाता...
झरिया। शीतलहर बढ़ती जा रही है। तापमान गिरते जा रहा है। पिछले तीन-चार दिनों से झरिया अंचल में अलाव जलाने की व्यवस्था शुरू की गई है। शहर के चार जगह पर अलाव जलाए जा रहे हैं। शाम को अलाव जलाने की व्यवस्था है। लेकिन जिला प्रशासन व अंचल कार्यालय की ओर से जलाए जा रहे अलाव से लोग संतुष्ट नहीं है। आधे घंटे के अंदर ही आग बुझ जाती है। जबकि शीतलहर का प्रकोप लगातार शाम होते ही बढ़ जाता है। मोटिया मजदूर व खुले आसमान में रहने वाले लोग अलाव जलने का इंतजार करते हैं। लेकिन शाम को ही अलाव जलता है और थोड़ी देर में बुझ जाता है।किसी को पता भी नहीं चल पाता है। झरिया अंचल कार्यालय के अनुसार कतरास मोड़, बाटा मोड, इंदिरा चौक, लक्ष्मीनिया मोड में अलाव जलाने की व्यवस्था की गई है। वहीं लोगों का कहना है कि लकड़ी का अलाव जिला प्रशासन की ओर से जलाया जाता है जो थोड़ी देर में ही बुझ जाता है जिसका फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा है।l लोगों का यह भी कहना है कि पहले बीसीसीएल की ओर से कोयला दिया जाता था। झरिया के हर चौक चौराहे और मोड पर कोयला गिरा दिया जाता था और अलाव जलाया जाता। रात भर और दिन भर अलाव जलते रहता था। और राहगीरों को काफी राहत मिलती थी लेकिन प्रशासन ने कोयला देना बंद कर दिया। अब जिला प्रशासन की ओर से प्रतिदिन 2 से 3 किलो लकड़ी जलाई जाती है जो पल भर में बुझ जाती है
।राहगीरों का ठंडा बदन गर्म भी नहीं हो पता है। झरिया अंचल अधिकारी मनोज कुमार ने बताया कि कर्मचारियों को अलाव जलाने की जिम्मेदारी दी गई है। बीसीसीएल की ओर से कोयला नहीं मिलता है। लकड़ी खरीद कर जलाई जाती है। जितना संभव है उतना लोगों को राहत देने की कोशिश चल रही है।
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