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बोले धनबाद: प्रदूषित झरिया की पुकार स्वच्छ हवा मेरा अधिकार

झरिया कोयला की राजधानी है, लेकिन यहां प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है। लोग शुद्ध हवा और पानी के लिए तरस रहे हैं, और कई प्रदूषण जनित बीमारियों का सामना कर रहे हैं। ओपन कास्ट माइनिंग और ट्रांसपोर्टिंग...

Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादSun, 2 March 2025 02:30 AM
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बोले धनबाद: प्रदूषित झरिया की पुकार स्वच्छ हवा मेरा अधिकार

झरिया को कोयला की राजधानी कहा जाता है। झरिया के कोयले से देश के कई शहर रोशन होते हैं। यहां उच्च कोटि का कोयला (कोकिंग कोल) भी मिलता है। यही कोकिंग कोल झरिया की पहचान है। कोयला झरिया सहित पूरे धनबाद की आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बिंदु भी है, लेकिन कोयला के कारण ही झरिया के लोगों को कई समस्याओं का सामान करना पड़ रहा है। इसी समस्याओं में एक है प्रदूषण। कोयला के कारण वायु प्रदूषण ने झरिया वाले की नाम में दम कर रखा है। ऊपर से कोयला में लगी आग तथा भू-धंसान के कारण भी प्रदूषण फैल रहा है। कोयला की नगरी झरिया पहचान की मुहताज नहीं। झरिया का नाम आते ही लोगों की जुबान पर कोयला आ जाता है। झरिया से देश के कई शहरों में कोयला जाता है। इस कोयले से बिजली बनती है तथा शहर रोशन होते हैं। सौ वर्ष से भी अधिक से झरिया में कोयला का खनन हो रहा है। कभी अंडरग्राउंड माइनिंग से कोयला निकाला जाता था। वर्तमान में ओपन कास्ट (खुली खदान) से कोयला निकाल जा रहा है। जाहिर है, ऐसे में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। शहर ही नही पूरे झरिया विधानसभा क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण हो गई है। ऐसा कहना है झरिया के लोगों का।

झरिया के लोगों ने हिन्दुस्तान के बोले धनबाद कार्यक्रम में बातचीत में कहा कि लोग प्रदूषण से कराह रहे हैं। शुद्ध हवा और शुद्ध पानी यहां के लोगों को नहीं मिल पा रहा है। लोग तरह-तरह की प्रदूषण जनित बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। यहां पर वायु, ध्वनि, मिट्टी और जल सब कुछ का प्रदूषण है। लोग जीने के लिए शुद्ध हवा के लिए संघर्ष कर रहे हैं। झरिया के प्रबुद्ध लोगों ने कहा कि झरिया के लोगों को जीने के लिए शुद्ध हवा चाहिए। अन्य जगहों पर जहां लोग 80 वर्ष से ऊपर का जीवन जीते हैं। झरिया के लोग अधिकतर 60 वर्ष भी पूरा नहीं कर पाते हैं और असमय काल कवलित हो जाते हैं। टीवी, अस्थमा सहित कई प्रदूषण जनित बीमारियों के भी शिकार हो रहे हैं। हर मोहल्ले में कैंसर और टीवी के मरीज मिल रहे हैं। नेत्र रोगियों की संख्या बढ़ रही है। त्वचा रोग भी पांव पसार रहा है।

कहा कि झरिया में आलीशान छत वाले मकान है। लेकिन लोग गर्मी के दिनों में खुले में सो नहीं पाते हैं। कारण कि रात में धूल कण की बारिश होती है। जो मोटी परत के रूप में जम जाती है। यह स्थिति झरिया शहर में पिछले डेढ़ दशक से शुरू हुई है। लोगों ने कहा कि एना आउटसोर्सिंग, राजापुर, लोदना, सुदामडीह, भौंरा सभी जगह आउटसोर्सिंग परियोजनाएं चल रही है। सभी ओपन कास्ट माइनिंग है। इसके अलावा ट्रांसपोर्टिंग के नियमों का भी पालन नहीं हो रहा है। भारी वाहनों से कोयला की ढुलाई होती है। तिरपाल से ढंका नहीं जाता है। टायर को धोया नहीं जाता है। कोल कंपनी के पास टायर वाश करने की कोई मशीन अथवा व्यवस्था नही है। सड़क पर कीचड़ होते हैं। सूखने के बाद वही धुलकण होकर जीना हराम कर देते हैं।

परियोजना विस्तार के लिए पेड़ों की कटाई

लोगों का कहना है कि कोल कंपनी परियोजना विस्तार के लिए पेड़ों की कटाई करती है। शर्त के अनुसार झरिया क्षेत्र में पौधारोपण करना है। लेकिन यहां पेड़ पौंधा नही लगाकर जिले के दूसरे प्रखंड में लगाया जाता है। झरिया में प्रदूषण है और पौंधे दूसरे जगह पर लगाए जा रहे है या नहीं, इसको भी देखने वाला कोई नहीं है। जल छिड़काव भी सही ढंग से नहीं होता है। ब्लास्टिंग के समय जिन नियमों का पालन होना चाहिए, उसका पालन नहीं होता हो रहा है। जनप्रतिनिधि, सरकार व प्रशासन का भी ध्यान नही है। हर जगह अराजकता की स्थिति फैली हुई है। अगर यह स्थिति रही तो हर घर में मरीज होंगे। हर घर में दिव्यांग होंगे। सेरेब्रल पॉलिसी के मरीज पैदा होंगे। क्योकि प्रदूषण के कारण गर्भ में भी बच्चे बीमार पड़ रहे हैं।

कई बार आंदोलन हुए, कई लोगों की जान भी गई

ट्रांसपोर्टिंग से होने वाले प्रदूषण से बचाव के लिए कई बार आंदोलन हुए। कई लोगों की जान भी गई। समझौता हुआ वह राजनीति का शिकार हो गया। दुखहरिणी मंदिर से होकर कोयला लोड वाहनों का रास्ता है। लेकिन केवल पूर्व की तरह पुल के नीचे 3 फीट की गहराई करनी है। ताकि वाहन पार कर सके। लेकिन वह नहीं हो रहा है। अन्यथा लोगों की जान और प्रदूषण से भी बहुत राहत होती है। डस्ट स्वीपिंग मशीन 2 दिन के लिए झरिया की सड़कों पर दिखाई पड़ी। उसके बाद से दिखाई नहीं पड़ी है। राजनीतिक दल भी ईमानदारी से प्रयास नहीं करते हैं। खनन कार्य भी नियम के अनुकूल नहीं हो रहे हैं। जिस विभाग को नियमों का पालन करना है। वह नही करता है। झरिया के लोग मानसिक तनाव से ग्रसित भी हो रहे हैं।

चारों तरफ ओबी के पहाड़

झरिया के चारों तरफ ओबी के पहाड़ खड़े हो रहे हैं। हवा का तेज झोंका होने पर धूलकण काफी मात्रा में उड़ते रहते हैं। परियोजनाओं में होने वाली ब्लास्टिंग से भी वायु प्रदूषण हो गया है। प्रदूषण का आलम यह है कि दामोदर नदी में सुबह में जाने पर एक परत पानी के ऊपर धुल जमा मिलती है। वही पानी की सप्लाई फिल्टर कर घरों में हो रही है। जल मीनार झरिया भगतडीह में है। उसके ऊपर भी प्रदूषण की मार है। काफी मात्रा में डस्ट जलमीन पर बिछा है। वह टंकी में भी प्रवेश कर जाता है। वही पानी शहर वह आसपास की इलाके में सप्लाई होती है।

सुझाव

1. फिर से अंडरग्राउंड माइनिंग शुरू होनी चाहिए।

2. क्षेत्र में पौधारोपण करना होगा, झरिया के स्थान पर दूसरे प्रखंडों में पौधरोपण नहीं होना चाहिए।

3. डस्ट स्वीपिंग मशीन से सड़कों पर जमे धूल को हर जगह हटाया जाय, जल छिड़काव नियमित हो।

4. ब्लास्टिंग के दौरान पानी का छिड़काव, ट्रांसपोर्टिंग के दौरान कोयला लोड वाहनों के पहिये की धुलाई हो। कोयला ट्रांसपोर्टिंग में तिरपाल का प्रयोग हो

5. ओबी के पहाड़ को समतल कर पौधरोपण किया जाय। कोयला लोड वाहनों के लिए आबादी से अलग हटकर मार्ग निर्धारित हो

शिकायतें

1. प्रदूषण नियंत्रण को लेकर जो नियम बने हैं, उसका पालन नहीं हो रहा है।

2. प्रदूषण को लेकर केवल राजनीति हो रही है। लोगों की भावनाओं से खेला जा रही है, जिसका असर स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

3. ईमानदारी से काटे गए पौधे की जगह झरिया क्षेत्र में पौधारोपण नहीं हो रहा है। इसकी जांच होनी चाहिए

4. खनन नियमों का पालन करते हुए कोयला उत्पादन और ट्रांसपोर्टिंग नहीं हो रही है

5. प्रदूषण के बचाव को लेकर जो सरकारी या विभाग के स्तर पर प्रयास होना चाहिए वह नहीं हुआ है और ना हो रहा है

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