झारखंड अब नहीं है नंबर एक कोयला उत्पादक राज्य
देश का सर्वाधिक कोयला रिजर्व (कुल कोयला रिजर्व का 40%) वाला राज्य झारखंड कोयला उत्पादन में देश का नंबर एक राज्य नहीं रहा है। पिछले छह वर्षों से झारखंड कोयला उत्पादन में पिछड़ता...
देश का सर्वाधिक कोयला रिजर्व (कुल कोयला रिजर्व का 40%) वाला राज्य झारखंड कोयला उत्पादन में देश का नंबर एक राज्य नहीं रहा है। पिछले छह वर्षों से झारखंड कोयला उत्पादन में पिछड़ता गया। चालू वित्तीय वर्ष में भी झारखंड छत्तीसगढ़ और ओडिशा से पीछे रहनेवाला है।
आठ फरवरी 2020 तक चालू वित्तीय वर्ष के उत्पादन का जो आंकड़ा कोल इंडिया की ओर से जारी किया गया है, उसमें झारखंड उत्पादन के दृष्टिकोण से चौथे नंबर पर है। पहले नंबर पर छत्तीसगढ़ में स्थिति एसईसीएल, दूसरे नंबर पर ओडिशा में स्थिति एमसीएल तथा तीसरे नंबर पर यूपी/एमपी में स्थित एनसीएल है। चौथे स्थान पर झारखंड स्थित सीसीएल एवं बीसीसीएल का कुल उत्पादन मिलाने पर झारखंड आता है। हालांकि कोकिंग कोल के कारण झारखंड (झरिया कोयला क्षेत्र) अभी भी सबसे महत्वपूर्ण है।
देश में कोयला खनन की शुरुआत बंगाल के रानीगंज और झारखंड के झरिया कोयला क्षेत्र से हुई थी। कोयला उत्पादन में झारखंड की बादशाहत रही है। बीसीसीएल-सीसीएल दो कोयला कंपनियां झारखंड में है। वहीं ईसीएल के दो एरिया राजमहल एवं मुगमा भी झारखंड में ही हैं। बावजूद इसके कोयला उत्पादन में झारखंड राज्यवार देखें तो छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा से पीछे तीसरे स्थान पर है। अब तक चालू वर्ष में बीसीसीएल एवं सीसीएल का उत्पादन जोड़ दें तो 71.57 मिलियन टन होता है। वहीं एसईसीएल एवं एमसीएल सौ मिलियन टन से आगे निकल चुके हैं।
एमओयू लक्ष्य 536.36, अब तक 469.09 मिलियन टन हुआ उत्पादन
कोल इंडिया का वित्तीय वर्ष 2019-20 का एमओयू टार्गेट 536.35 मिलियन टन है। आठ फरवरी 2020 तक 469.09 मिनियन टन कोयला उत्पादन हुआ है। कोल इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एमओयू टार्गेट पूरा करने के लिए बचे एक माह और 22 दिन में प्रतिदिन 36.11 लाख टन कोयला उत्पादन की दरकार है। वर्तमान में 21.33 लाख टन प्रतिदिन कोयला उत्पादन हो रहा है। यानी कोल इंडिया चालू वित्तीय वर्ष में एमओयू टार्गेट से पीछे रहेगी।
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