Hindi NewsJharkhand NewsDhanbad NewsIIT Dhanbad Lecture Warns of Sixth Mass Extinction Due to Human Activity

2100 तक 10-40 फीसदी प्रजातियां नष्ट हो सकती : प्रो. वाजपेयी

आईआईटी रुड़की के प्रो. सुनील बाजपेयी ने आईआईटी धनबाद में छात्रों को बताया कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण 2100 तक 10-40 फीसदी प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि वर्तमान में पृथ्वी छठवीं...

Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादTue, 25 Feb 2025 05:06 AM
share Share
Follow Us on
2100 तक 10-40 फीसदी प्रजातियां नष्ट हो सकती : प्रो. वाजपेयी

धनबाद, मुख्य संवाददाता आईआईटी रुड़की के पृथ्वी विज्ञान विभाग के रिटायर प्रोफेसर प्रो. सुनील बाजपेयी ने सोमवार को आईआईटी धनबाद में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सामूहिक विलुप्ति की घटनाएं अल्प भूगर्भीय अवधि में विनाशकारी जैव विविधता हानि को दर्शाती हैं।

अनुमान बताते हैं कि यदि ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान दो सेंटीग्रेट से अधिक बढ़ता है तो 2100 तक 10-40 फीसदी प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। यह समस्या महासागरीय अम्लीकरण और तेजी से हो रहे पर्यावरणीय बदलावों के कारण और भी गंभीर हो सकती है। आईआईटी धनबाद में सोमवार को अनुप्रयुक्त भूविज्ञान विभाग की ओर से शताब्दी व्याख्यान के तहत पृथ्वी पर जीवन का सामूहिक विलुप्ति: अतीत, वर्तमान और भविष्य का आयोजन हुआ।

व्याख्यान में उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से पृथ्वी पर पांच प्रमुख विलुप्ति घटनाएं हो चुकी हैं। ऑर्डोविशियन, डेवोनियन, पर्मियन, ट्रायसिक और क्रेटेशियस है। इन्होंने पृथ्वी की जैव विविधता को गहराई से प्रभावित किया। प्रो. बाजपेयी ने चेतावनी दी कि वर्तमान में पृथ्वी छठवीं सामूहिक विलुप्ति, जिसे होलोसीन या एंथ्रोपोसीन विलुप्ति कहा जाता है, का सामना कर रही है। यह मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों जैसे कि आवास विनाश, प्रदूषण, प्रजातियों का अति-शोषण और जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान विलुप्ति दर प्राकृतिक पृष्ठभूमि दर की तुलना में 100 से 1,000 गुना अधिक है, जो वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्रों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रही है।

प्रो. बाजपेयी के अनुसार उन्होंने वैश्विक हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर देते हुए सीओ उत्सर्जन में कमी, रिफ्यूजिया आवासों की सुरक्षा और कमजोर प्रजातियों की अनुकूलन क्षमता को बढ़ाने जैसे उपायों को अपनाने की अपील की। 500 मिलियन वर्षों के जैविक पतन और पुनरुद्धार से प्राप्त अंतर्दृष्टियों का उपयोग करके, हम वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए ठोस कदम उठा सकते हैं। पृथ्वी की जैव विविधता का भविष्य हमारी सीखने और निर्णायक कार्रवाई करने की क्षमता पर निर्भर करता है। प्रो. एस. सारंगी, विभागाध्यक्ष, प्रो. एके भौमिक समेत अन्य ने संबोधित किया।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें