Hindi NewsJharkhand NewsDhanbad NewsHigh Court Issues Notice in DRDA Merger Case Involving District Council Employees

डीआरडीए कर्मियों के जिप में विलय मामले में डीसी-डीडीसी को कोर्ट का नोटिस

धनबाद में, जिला परिषद के कर्मचारियों के विलय मामले में हाईकोर्ट ने डीसी, डीडीसी और अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। कर्मचारियों ने विलय के निर्णय का विरोध किया है और इसे पंचायती राज अधिनियम के...

Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादSun, 12 Jan 2025 02:25 AM
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धनबाद, प्रियेश कुमार जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) के जिला परिषद के कर्मचारियों के विलय मामले में डीसी, डीडीसी सहित अन्य अधिकारियों को हाईकोर्ट की ओर से नोटिस जारी किया गया है। प्रधान सचिव ग्रामीण विकास राज्य सरकार, प्रधान सचिव पंचायती राज्य सरकार तथा निदेशक ग्रामीण विकास अभिकरण धनबाद (डीआरडीए) को भी नोटिस जारी कर पक्ष रखने को कहा गया है। महाधिवक्ता के कार्यालय की ओर से स्टैंडिंग काउंसिल शाहबुद्दीन ने नोटिस जारी कर अधिकारियों को प्रति शपथ पत्र दायर करने को कहा है।

जिला परिषद के कर्मचारियों ने विलय के निर्णय पर विरोध जताया था। डीआरडीए के जिला परिषद में विलय को पंचायती राज अधिनियम के प्रतिकूल करार दिया था। इसके बाद कर्मचारियों ने रिट पिटिशन दायर किया था। इसमें राज्य सरकार के दो विभागों के सचिव, धनबाद डीसी तथा डीडीसी को भी पक्षकार बनाया था। इसी रिट पिटिशन के आधार पर हाईकोर्ट ने कार्रवाई की है।

क्या कहना है कर्मचारियों का

रिट पिटिशन में कर्मचारियों ने विलय के निर्णय पर सवाल उठाया है। अमरेश्वर राम सहित अन्य कर्मचारियों की ओर से दायर याचिका में बताया गया है कि दस जून 2024 को लिए गए संकल्प को खारिज किया जाए। यह संकल्प ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव की ओर से जारी किया गया था। इसमें डीआरडीए के स्थायी कर्मचारियों को छोड़कर अन्य का जिला परिषद में विलय का निर्णय लिया गया था। याचिका में बताया गया है कि उपरोक्त संकल्प पंचायती राज विभाग के सहमति के बगैर लिया गया था। जिला परिषद के कर्मचारी पंचायती राज के अधीन आते हैं। ऐसे में विलय के संकल्प के पहले पंचायती राज विभाग की सहमति जरूरी है। इस निर्णय का प्रतिकूल असर जिला परिषद के कर्मचारियों पर पड़ेगा।

अधिकारों के उल्लंघन का आरोप

याचिका में कहा गया है कि डीआरडीए के स्थायी कर्मचारी को डीआरडीए के संविदाकर्मियों के बराबर नहीं माना जा सकता है। प्रधान सचिव ग्रामीण विकास विभाग राज्य सरकार की ओर से दस जून को जारी संकल्प मूलभूत अधिकार का उल्लंघन है। जिला परिषद के कर्मचारियों को 10 मई 2001 को पंचायती राज के अधीन किया गया था। जब डीआरडीए के कर्मियों को जिला परिषद में विलय का निर्णय लिया गया है तो उसकी तमाम संपत्तियां तथा देनदारियां भी जिला परिषद के अधीन होनी चाहिए। इस पर तमाम अधिकार भी जिला परिषद का ही होना चाहिए। बताया गया कि केंद्र सरकार ग्रामीण विकास विभाग ने डीआरडीए के विघटन का निर्णय लिया था। इसमें यह निर्देश दिया गया था कि राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में डीआरडीए को विलय कर दिया जाए। जहां जिला परिषद नहीं है, वहां जिला के राज्य सरकार के अधीन किसी विभाग में मर्ज कर दिया जाए। डीआरडीए में प्रतिनियुक्ति पर काम करने वाले कर्मचारियों को उनके मूल विभाग में वापस भेज दिया जाए या फिर वैसे ही किसी निकट के विभाग उनकी तैनाती की जाए। डीआरडीए के स्पोर्ट स्टाफ को भी किसी उचित लाइन डिपार्टमेंट या फिर जिला योजना की मॉनिटरिंग करनेवाले विभागों में तैनात किया जाए।

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