Hindi NewsJharkhand NewsDhanbad NewsFree Ultrasound Services for Pregnant Women Lacking at Dhanbad Medical College Hospital

ओपीडी में आनेवाली गर्भवतियों की नहीं होती निशुल्क अल्ट्रासोनोग्राफी

धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गर्भवतियों को निशुल्क अल्ट्रासोनोग्राफी की सुविधा नहीं मिल रही है। प्राइवेट सेंटरों में महंगे दाम पर जांच करवानी पड़ रही है। अस्पताल में मशीनों की कमी और भीड़ के कारण यह...

Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादSat, 1 March 2025 04:40 AM
share Share
Follow Us on
ओपीडी में आनेवाली गर्भवतियों की नहीं होती निशुल्क अल्ट्रासोनोग्राफी

धनबाद, प्रमुख संवाददाता धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ओपीडी में आनेवाली गर्भवतियों को निशुल्क अल्ट्रासोनोग्राफी की सुविधा नहीं मिल रही है। इससे गरीब मरीजों को निजी सेंटरों पर जाकर महंगे दाम पर जांच करवानी पड़ती है। प्राइवेट सेंटरों में एक अल्ट्रासोनोग्राफी करवाने में 700 से 1500 रुपये तक खर्च होते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर गर्भवतियों के लिए बड़ी परेशानी का कारण है।

अधिकारियों की मानें तो अस्पताल के अल्ट्रासोनोग्राफी सेंटर में भीड़ अधिक होने और मशीनों की कमी के कारण गर्भवतियों को यह सुविधा नहीं दी जा रही है। अस्पताल में 2017 में आई एकमात्र मशीन से अल्ट्रासोनोग्राफी की जाती है। यह अब पुरानी और धीमी हो चुकी है। इससे अल्ट्रासोनोग्राफी करने में अधिक समय लगता है। यहां पहले की एक और मशीन है। वह खराब पड़ी है। यहां मुश्किल से ओपीडी के अन्य विभागों और इनडोर में भर्ती मरीजों की अल्ट्रासोनोग्राफी हो पाती है। इसके लिए भी भीड़ लगी रहती है। इस कारण यहां ओपीडी में आनेवाली गर्भवतियों की अल्ट्रासोनोग्राफी पर अघोषित रोक है। इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि नई अल्ट्रासोनोग्राफी मशीन की खरीद की कोशिश चल रही है। नई मशीन आने के बाद स्थिति में सुधार होगा। गर्भवतियों को सरकारी अस्पताल में ही अल्ट्रासोनोग्राफी की सुविधा मिल सकेगी।

दो से चार बार करानी होती है अल्ट्रासोनोग्राफी

गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर गर्भवती को दो से तीन बार अल्ट्रासोनोग्राफी करवाने की सलाह देते हैं। कुछ मामलों में चार बार भी अल्ट्रासोनोग्राफी करानी पड़ती है। उन्हें मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सरकारी स्तर पर यह सुविधा नहीं मिलती। हर बार गर्भवतियों को मजबूरी में निजी सेंटर में जाकर जांच करानी होती है। हर बार जांच के लिए पैसे खर्च करना गरीब परिवारों के लिए मुश्किल हो जाता है।

प्राइवेट में भी डॉक्टर-कर्मियों की पसंद

मामला सिर्फ सरकारी में अल्ट्रासोनोग्राफी नहीं होने भर का नहीं है। प्राइवेट सेंटरों से अल्ट्रासोनोग्राफी में भी मरीज की मर्जी नहीं चलती। उन्हें डॉक्टर और कर्मचारियों की पसंद का ध्यान रखना पड़ता है। ऐसा नहीं करने पर दोबारा अल्ट्रासोनोग्राफी करानी पड़ती है और दोबारा पैसे खर्च करने पड़ते हैं। डॉक्टर के कहने पर पिंकी मंडल नामक गर्भवती ने 12 फरवरी को अल्ट्रासोनोग्राफी कराकर डॉक्टर के पास पहुंची। डॉक्टर ने रिपोर्ट देखी तक नहीं। दोबारा यही जांच लिख दी। इस बार नर्स ने उसे एक सेंटर का नाम बताया। पैसों का इंतजाम पर पिंकी ने 19 फरवरी को फिर से अल्ट्रासोनोग्राफी कराई। तब डॉक्टर ने उसे देखा। इस तरह की घटना मरीजों के साथ अक्सर होती रहती है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें