Hindi NewsJharkhand NewsDhanbad NewsDhanbad Station 117 Years of History but Lacks Basic Facilities

ट्रेन आने के बाद प्लेटफॉर्म नंबर 6-7 पर मचती है भागमभाग

धनबाद स्टेशन का इतिहास 117 साल पुराना है, लेकिन यहां की सुविधाएं बेहद सीमित हैं। प्लेटफॉर्म नंबर 6-7 पर यात्रियों को कोच की पहचान के लिए संघर्ष करना पड़ता है। दो दशकों से कोच इंडिकेशन बोर्ड की कमी और...

Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादFri, 7 March 2025 05:52 AM
share Share
Follow Us on
ट्रेन आने के बाद प्लेटफॉर्म नंबर 6-7 पर मचती है भागमभाग

धनबाद, रविकांत झा धनबाद स्टेशन का इतिहास 117 साल पुराना है। धनबाद स्टेशन पूर्व मध्य रेलवे की कमाई में छठा स्थान रखता है। धनबाद डिविजन देश का सर्वाधिक कमाई वाला डिविजन है। धनबाद स्टेशन की शान में भले ही लंबे-चौड़े कसीदे पढ़े जा सकते हैं, लेकिन सच तो यह है कि धनबाद स्टेशन मामूली सुविधा के लिए तरस रहा है। रेलवे की उदासीनता के कारण यहां के प्लेटफॉर्म नंबर 6-7 पर ट्रेन आने के बाद अपने कोच की खोज में यात्रियों के बीच भागमभाग मचती है।

जमीनी सच्चाई स्टेशन पर भगदड़ की आशंका को जन्म दे रहे हैं। भारतीय रेलवे में 20 साल पहले ट्रेन कोच इंडिकेशन बोर्ड की शुरुआत हुई थी। ए-1 कटेगरी का स्टेशन होने के बावजूद धनबाद स्टेशन का प्लेटफॉर्म नंबर 6-7 दो दशक बाद भी कोच इंडिकेशन बोर्ड जैसी जरूरी सुविधा का इंतजार कर रहा है। इन 20 वर्षों में धनबाद स्टेशन के सौंदर्यीकरण के लिए कई बार योजनाएं बनीं। नई-नई घोषणाएं भी हुईं, लेकिन किसी का ध्यान इस प्लेटफॉर्म पर कोच इंडिकेशन बोर्ड लगाने पर नहीं आया।

---

रांची की सभी महत्वपूर्ण ट्रेनें आती हैं इसी प्लेटफॉर्म पर

धनबाद होकर बोकारो और रांची जाने वाली सभी महत्वपूर्ण ट्रेनें प्लेटफॉर्म नंबर 6-7 पर ही आती हैं। दरअसल कतरास-चंद्रपुरा होकर चलने वाली सभी ट्रेनें प्लेटफॉर्म नंबर पांच, छह या सात नंबर पर ही आती हैं। प्लेटफॉर्म नंबर पांच लंबाई में छोटा होने के कारण इस पर 20 या अधिक कोच वाली रेल गाड़ियों को खड़ा करने की जगह नहीं है। लिहाजा इस रूट के 80 प्रतिशत ट्रेनें प्लेटफॉर्म नंबर 6-7 पर ही आती हैं। सभी ट्रेनों के ठहराव का समय पांच मिनट है। प्लेटफॉर्म पर कोच इंडिकेशन बोर्ड नहीं होने के कारण यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है।

---

एंबुलेंस ट्रेन भी इसी प्लेटफॉर्म से खुलती है

प्लेटफॉर्म नंबर 6-7 से एलेप्पी एक्सप्रेस भी खुलती है। एलेप्पी एक्सप्रेस को झारखंड की एंबुलेंस ट्रेन कहा जाता है। लिहाजा एलेप्पी एक्सप्रेस से जाने वाले मरीजों को भी अपने कोच तक पहुंचने के लिए कुलियों और स्टॉल संचालकों का सहारा लेना पड़ता है। इसी प्लेटफॉर्म पर मौर्य एक्सप्रेस व रांची-जयनगर एक्सप्रेस से लेकर सिकंदराबाद और हैदराबाद जाने वाली सभी ट्रेनें आती हैं। मालदा टाउन-सूरत एक्सप्रेस व जसीडीह-वास्को द गामा एक्सप्रेस के यात्री भी इसी प्लेटफॉर्म से ट्रेन पर सवार होते हैं।

---

शेड के बिना बारिश में भींग कर लोग पकड़ते हैं ट्रेन

प्लेटफॉर्म नंबर 6-7 की उपेक्षा कोच इंडिकेशन बोर्ड तक सीमित नहीं है। इस प्लेटफॉर्म पर ढंग से शेड तक नहीं बना हुआ है। हावड़ा छोर यानी आरआरआई भवन की ओर आधे प्लेटफॉर्म पर झोपड़ीनुमा शेड बने हुए हैं। प्लेटफॉर्म का एक बड़ा हिस्सा बिना यात्री शेड का है। लिहाजा गर्मी के दिनों में भीषण धूप और बारिश के दिनों में वर्षा का पानी झेल कर लोग इस प्लेटफॉर्म से ट्रेन पकड़ने को विवश हैं। बताया जा रहा है कि कोरोना काल के पूर्व इन दोनों प्लेटफॉर्म पर कोच इंडिकेशन बोर्ड लगाने का प्रस्ताव तैयार हुआ था, लेकिन बाद में यह ठंडे बस्ते में चला गया।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें