प्रमोद मर्डर में आरोपियों की रिहाई के विरुद्ध हाईकोर्ट पहुंची सीबीआई
धनबाद के कोयला कारोबारी प्रमोद सिंह हत्या मामले में बरी किए गए आरोपियों की धड़कनें बढ़ गई हैं। सीबीआई ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील की है। हाईकोर्ट ने आरोपियों को नोटिस...
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धनबाद, प्रतिनिधि धनसार निवासी कोयला कारोबारी प्रमोद सिंह हत्याकांड में बरी हुए आरोपियों की एक बार फिर से धड़कनें बढ़ गई हैं। धनबाद सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने तीन साल पहले चार फरवरी 2022 को कांग्रेस जिलाध्यक्ष संतोष सिंह और कांग्रेस नेता रणविजय सिंह सहित छह आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी करने का आदेश दिया था। सीबीआई ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आरोपियों को नोटिस जारी किया है। सीबीआई क्राइम ब्रांच नई दिल्ली की ओर से दायर इस याचिका पर हाईकोर्ट में 12 मार्च को सुनवाई की जाएगी। दिल्ली क्राइम ब्रांच नंबर तीन की ओर से देवेंद्र मीणा ने सैयद अरशद अली उर्फ सिया उर्फ डबलू, हीरा खान, अयूब खान उर्फ नन्हे, मदन प्रसाद खरवार, रणविजय सिंह तथा संतोष सिंह को प्रतिवादी बनाया है।
यूपी के डॉन बृजेश सिंह के रिश्तेदार थे प्रमोद
प्रमोद सिंह यूपी के डॉन बृजेश सिंह के रिश्तेदार थे। तीन अक्तूबर 2003 को धनसार थाना क्षेत्र की बीएम अग्रवाल कॉलोनी में गोली मारकर प्रमोद की हत्या की गई थी। प्रमोद सिंह सुबह वाराणसी से ट्रेन से लौटकर प्राइवेट कार से अपने घर धनसार बीएम अग्रवाल कॉलोनी पहुंचे ही थे कि बाइक सवार दो शूटर पहुंचे और उन्हें सात गोलियां दाग दी थीं। घटना के बाद पड़ोसियों ने प्रमोद सिंह को सेंट्रल अस्पताल पहुंचाया था।
मृत्यु पूर्व बयान पर रामधीर व राजीव रंजन बने थे आरोपी
पुलिस की ओर से दावा किया गया था कि धैया निवासी कोयला कारोबारी सुरेश सिंह (फिलहाल मृत), रणविजय सिंह और संतोष सिंह के समक्ष मृतक प्रमोद सिंह ने मृत्यु पूर्व बयान दिया था, जिसमें प्रमोद ने बलिया के पूर्व जिप अध्यक्ष रामधीर सिंह, उनके भतीजे और स्व. सूर्यदेव सिंह के बड़े पुत्र राजीव रंजन सिंह पर गोली मारने का आरोप मढ़ा था। प्रमोद सिंह के कथित मृत्यु पूर्व बयान के आधार पर रामधीर सिंह व उनके भतीजे व पूर्व विधायक संजीव सिंह के बड़े भाई राजीव रंजन सिंह के खिलाफ धनसार थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी।
सीबीआई ने रामधीर व राजीव रंजन को दी थी क्लीनचिट
तत्कालीन भाजपा की सरकार ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। सीबीआई की लखनऊ क्राइम ब्रांच ने इस मामले की तफ्तीश की थी। सीबीआई के इंस्पेक्टर मुकेश शर्मा ने जांच के बाद पुलिस एफआईआर के आरोपी रामाधीर सिंह और राजीव रंजन सिंह को क्लीनचिट देते हुए नौ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दी थी।
सुरेश सिंह को बताया गया था मास्टरमाइंड
सीबीआई ने पुलिस एफआईआर को पलटते हुए सुरेश सिंह को हत्या का मास्टरमाइंड बताया था, जबकि कांग्रेस नेता रणविजय सिंह, संतोष सिंह और सरायढेला के तत्कालीन थाना प्रभारी एमपी खरवार पर साजिश रचने का आरोप था। सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार खड़क सिंह और कश्मीरा ने सुरेश सिंह से प्रमोद की हत्या की सुपारी ली थी। इन दोनों के कहने पर हीरा खान और अरशद अली बाइक पर सवार होकर घटना के दिन धनसार गए थे। हीरा खान ने प्रमोद सिंह पर गोलियां बरसाई थीं। हालांकि सीबीआई के न्यायाधीश रजनीकांत पाठक के कोर्ट में सीबीआई आरोपों को सिद्ध नहीं कर सकी। 37 में से सात गवाह अपने बयान से मुकर गए थे।
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