वर्चस्व की जंग में कोयला क्षेत्र की हो रही शांतिभंग
धनबाद में बीसीसीएल कोयला क्षेत्र में वर्चस्व की लड़ाई के कारण शांति भंग होने का खतरा बढ़ गया है। हाल की घटनाओं से सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। कोयले का उठाव प्रभावित हो रहा है और राजनीतिक दबाव...
मुकेश सिंह धनबाद। हाल के दिनों में बीसीसीएल कोयला क्षेत्र में वर्चस्व की जंग से शांतिभंग होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। पिछले दिनों घटी कई घटनाओं ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है। लोडिंग प्वाइंट,आऊटसोर्सिंग और साइडिंग पर कब्जे की लड़ाई से बीसीसीएल को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है। कोयले का उठाव प्रभावित है तो दूसरी तरफ आम डीओ धारकों को भी कोयला उठाव में परेशानी हो रही है।
जानकारों की मानें तो वर्चस्व की इस लड़ाई के आर्थिक के साथ साथ राजनीतिक पहलू भी हैं। कोयलांचल की राजनीति कोयले से चलती है। कोयले की आर्थिक गतिविधियों पर जिसका जितना कब्जा है,उनकी राजनीति उतनी ही मजबूत है। एक वरिष्ठ कोयला अधिकारी के मानें तो बीसीसीएल के हर लोडिंग प्वाइंट पर राजनीतिज्ञों के इशारे पर प्रेशर ग्रुप का कब्जा है। पर्दे के पीछे कई आऊटसोर्सिंग कंपनियां भी इसमें भागीदार हैं। समय रहते पुलिस प्रशासन सचेत नहीं हुआ तो वर्चस्व की जंग से कोयलांचल की शांति भंग होनी तय है।
झरिया एवं बाघमारा विधान सभा क्षेत्र में पिछले दिनों घटी घटनाएं सामान्य नहीं हैं। मालूम हो कुछ दिन पहले विधायक रागिनी सिंह और पूर्व विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के समर्थक भिड़ गए थे। लगभग दो दर्जन राउंड फायरिंग हुई थी। पुलिस की उपस्थिति में गोली चली थी। यह टकराव लोदना क्षेत्र के कुजाम लोडिंग पॉइंट पर मैनुअल लोडिंग और लोडिंग पर कब्जे को लेकर हुआ था। एक तरफ जनता श्रमिक संघ के बैनर तले रागिनी समर्थक थे तो दूसरी तरफ जनता मजदूर संघ( बच्चा गुट) के बैनर तले पूर्णिमा नीरज सिंह के समर्थक थे। इसके बाद झरिया विधायक के कार्यालय पर गोलीबारी इसी घटना को जोड़कर देखा जा सकता है। सिंह मेंशन और रघुकुल के बीच तनाव पहले से हैं। एक बार फिर बदली परिस्थिति में दोनों घराना एक दूसरे पर बढ़त बनाने के लिए टकराव को तैयार नजर आ रहे हैं।
मामला सिर्फ झरिया क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। बाघमारा में भी वर्चस्व की जंग चरम पर है। धनबाद जिले के मधुबन थानांतर्गत बीसीसीएल की खरखरी कोलियरी क्षेत्र में आउटसोर्सिंग कंपनी हिलटॉप की चहारदीवारी निर्माण के विवाद ने पिछले दिनों ऐसा हिंसक मोड़ लिया कि सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी के समर्थक एवं झामुमो के कारू यादव के समर्थक एक-दूसरे को मरने मारने पर उतारू हो गए। जमकर गोली बम चले। एक पुलिस अधिकारी गंभीर रुप से घायल हो गए। ठेका कार्य में वर्चस्व को लेकर यह संघर्ष हुआ। कई गांव के युवा इसमें शामिल थे। मामला अभी दबा नहीं है। भीतर ही भीतर वर्चस्व की लड़ाई और तेज करने की तैयारी चल रही है। सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो बड़ी घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
झरिया-बाघमारा कोयले का सबसे बड़ा पॉकेट : बीसीसीएल के खनन क्षेत्रों पर ध्यान दें तो झरिया और बाघमारा कोयले का सबसे बड़ा पॉकेट है। बीसीसीएल का लगभग 70 प्रतिशत कोयला उत्पादन इन्हीं दो विधान सभा क्षेत्रों से होता है। बीसीसीएल के छह प्रमुख एरिया इन्हीं दो विधानसभा क्षेत्रों में है। इसलिए स्वाभाविक है कि वर्चस्व की जंग सबसे ज्यादा इन्हीं दो विधान सभा क्षेत्रों में है। कई प्रेशर ग्रुप हैं जो अपने अपने राजनीतिक आकाओं के संरक्षण में सक्रिय हैं। बीसीसीएल के सर्वाधिक लोडथ्ंग प्वाइंट और आऊटसोर्सिंग कंपनियां इन्हीं दो विस क्षेत्रों में है।
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