ठेके पर बढ़ रहा कोयला उत्पादन, विभागीय कर्मी घट रहे
धनबाद में कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों ने कोयला उत्पादन में आउटसोर्सिंग की ओर बढ़ते हुए कर्मियों की संख्या में कमी की है। 2006 में 4.52 लाख कर्मियों से घटकर अब 2.20 लाख रह गए हैं। झारखंड में 94...

धनबाद, मुकेश सिंह सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनी कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में कोयला उत्पादन पूरी तरह ठेके (आउटसोर्सिंग) की ओर शिफ्ट हो रही है। नतीजा यह है कि कोयला कंपनियों में कर्मियों की संख्या लगातार घटती जा रही है। कोयला कर्मियों की संख्या घटने के बाद भी बीसीसीएल जैसी कंपनियों में सरप्लस मैनपावर की स्थिति बनती जा रही है। जनवरी तक कोयला उत्पादन सहित अन्य गतिविधयों पर कोयला मंत्रालय की ओर से जारी स्टैटिकल रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि सभी कोयला कंपनियों में ठेके पर कोयला उत्पादन में वृद्धि हो रही है।
बात दो दशक की करें तो 2006 में कोल इंडिया में करीब 4.52 लाख कर्मी थे। वर्तमान में सिर्फ 2.20 लाख कर्मी रह गए हैं। ईसीएल और बीसीसीएल में तेजी से मैनपावर में कमी हुई है। ईसीएल में 2006 में 1.01 लाख से अधिक कर्मी थे, जो 2025 में 46 हजार के आसपास पहुंच गए हैं। इसी तरह बीसीसीएल में 87 हजार से अधिक कर्मी 2006 में थे। अब घटकर 32 हजार हो गए हैं। सीसीएल में भी दो दशक में लगभग 50 प्रतिशत मैनपावर घटा है।
झारखंड में भी कोयला उत्पादन में आउटसोर्सिंग कंपनियों का ही दबदबा है। जनवरी तक बीसीसीएल एवं सीसीएल का कोयला उत्पादन 100 मिलियन टन तक पहुंच गया, जिसमें विभागीय उत्पादन का योगदान महज 16 मिलियन टन के आसपास रहा। यानी झारखंड में कोयले का लगभग 94 प्रतिशत उत्पादन आउटसोर्सिंग कंपनियों पर निर्भर है। कैप्टिव और कॉमर्शियल कोयला उत्पादन को जोड़ दें तो ठेके पर कोयला का उत्पादन 90 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में जनवरी तक उत्पादन
कंपनी आउटसोर्सिंग विभागीय
ईसीएल 31.58 7.87
बीसीसीएल 25.75 6.93
सीसीएल 55.52 11.54
डब्ल्यूसीएल 33.57 19.24
एसईसीएल 110.88 18.06
एमसीएल 149.01 34.10
(कोयला उत्पादन मिलियन टन में)
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