सेल की जीतपुर कोलियरी को फिर चालू करना मुश्किल
धनबाद की जीतपुर कोलियरी के लिए भविष्य में संचालन मुश्किल हो गया है। टाटा की बंद तीन कोयला खदानों से पानी भरने के कारण यह स्थिति बनी है। सुरक्षा कारणों से इसे फिर से चालू करना संभव नहीं है, जिससे...
धनबाद, मुकेश सिंह सेल की जीतपुर कोलियरी को भविष्य में चालू करना मुश्किल है। टाटा की बंद तीन कोयला खदानों के कारण जीतपुर कोलियरी को पानी से खतरा हो गया है। दो साल पहले ही डीजीएमएस के निर्देश पर उक्त खदान को बंद कर दिया गया था। इसके बाद सेल प्रबंधन ने सिंफर से जीतपुर कोलियरी को लेकर स्टडी कराया। सेल के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सिंफर की स्टडी रिपोर्ट में भी स्थिति को खतरनाक बताया गया है। ऐसे में जीतपुर कोलियरी को भविष्य में चालू करना संभव नहीं है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जीतपुर के आसपास टाटा की तीन खदानें बंद हुई हैं। इन खदानों में पानी भर गया है। इससे जीतपुर कोलियरी प्रभावित है। टाटा की बंद जामाडोबा खदान के साथ-साथ 6 एवं 7 पिट में लबालब पानी भर गया गया है। बंद तीनों खदानों में जलस्तर बढ़ने से जीतपुर में लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। ऐसे में उक्त भूमिगत खदान में खनन संभव नहीं है। टाटा की ओर से बंद की गई तीनों खदानों में अब कोयला नहीं के बराबर है। वैसे सेल की जीतपुर कोलियरी में अभी भी कोकिंग कोल का रिजर्व है। सुरक्षा कारणों से खदानों को चालू करना अब मुश्किल है।
जीतपुर कोलियरी पर संकट सेल के लिए झटका है। खासकर जब बोकारो स्टील प्लांट के विस्तारीकरण की बात हो रही है, ऐसे में जीतपुर कोलियरी की बंदी से सेल को कोकिंग कोल की आपूर्ति प्रभावित होगी। जब डीजीएमएस ने दो साल पहले जीतपुर को बंद किया था, तब उम्मीद थी कि बाद में इसे चालू किया जा सकेगा। सेल के सूत्र बताते हैं कि अब संभावना क्षीण है। सुरक्षा संबंधी चेतावनी को दरकिनार कर शायद ही उक्त खदान को चालू किया जा सके। जीतपुर कोलियरी से प्रतिदिन लगभग 300 टन कोले का उत्पादन होता था। क्षमता प्रतिदिन पांच सौ टन का है।
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