मुराईडीह-फुलारीटांड़ ओसीएम की स्थिति बेहतर
झारखंड की टॉप 35 खदानों में बीसीसीएल और सीसीएल की खदानों का प्रदर्शन मिश्रित रहा है। बीसीसीएल के केशलपुर वेस्ट ओसीएम ने लक्ष्य का केवल 56% उत्पादन किया है, जबकि राजमहल कोयला क्षेत्र ने दिसंबर तक 9...
धनबाद, विशेष संवाददाता। झारखंड स्थित देश की टॉप 35 खदानों में बेहतर प्रदर्शन करने वाली खदानों में बीसीसीएल की एकीकृत मुराईडीह-फुलारीटांड़ ओसीएम, सीसीएल की आम्रपाली, मगध और अशोका है। सीसीएल की एकीकृत कोनार खासमहल भी लक्ष्य से काफी पीछे है। वहीं टॉप 35 खदानों में शामिल बीसीसीएल का एकीकृत केशलपुर वेस्ट मुदीडीह ओसीएम पिछड़ गया है। उक्त खदान का प्रदर्शन बेहद निराशजनक है। लक्ष्य का 56 प्रतिशत ही उत्पादन करने में सफल हुई है। सालाना लक्ष्य 4.8 मिलियन टन है, लेकिन उक्त खदान दिसंबर तक बमुश्किल दो मिलियन टन तक ही पहुंच सकी है। इधर, संताल परगना स्थित ईसीएल का राजमहल कोयला क्षेत्र अब पटरी पर लौट रहा है। चालू वित्तीय वर्ष में दिसंबर तक उक्त एरिया ने नौ मिलियन टन से ज्यादा कोयला उत्पादन कर लिया है। कई सालों से राजमहल कोयला क्षेत्र का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। 2024-25 में राजमहल कोयला क्षेत्र के प्रदर्शन में काफी सुधार है। राजमहल कोयला क्षेत्र को वित्तीय वर्ष में 2024-25 में 15. 5 मिलियन टन का लक्ष्य मिला है। दिसंबर तक नौ मिलियन टन के आंकड़े को पार करना संतोषजनक है। वैसे लक्ष्य हासिल करने के लिए बचे तीन महीने में राजमहल कोयला क्षेत्र को हर महीने लगभग दो मिलियन टन कोयला उत्पादन करना होगा। पिछले कई महीनों से यह एरिया लक्ष्य का 90 प्रतिशत तक कोयला उत्पादन करने में सफल रहा है। राजमहल कोयला क्षेत्र देश के टॉप-35 खदानों की लिस्ट में शामिल है। इसलिए राजमहल कोयला क्षेत्र की स्थित में सुधार ईसीएल के लिए बेहतर संकेत है। मालूम हो कि भूमि विवाद सहित कई कारणों से राजमहल कोयला क्षेत्र पिछले तीन वित्तीय वर्ष से लक्ष्य से पिछड़ता रहा है।
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